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खोले जा सकते हैं प्राइमिरी स्कूल…प्राइमरी के बाद सेकंडरी पर विचार…बच्चो की रोग प्रतिरोधक मजबूत…

देश अब धीरे धीरे स्कूल खुलने की दिशा में बढ़ता लग रहा है। आईसीएमआर ने कहा कि पहले प्राइमरी स्कूल खोले जा सकते हैं और फिर सेकंडरी स्कूल खोले जाने चाहिए। हालांकि यह फैसला जिला और राज्य स्तर पर लिया जाएगा और कई फैक्टर्स पर निर्भर करेगा। आईसीएमआर के मुताबिक प्राइमरी स्कूल को शुरू किया जा सकता है बशर्ते स्कूल का सपोर्ट स्टाफ पूरी तरह वैक्सीनटेड हो| ये बात आईसीएमआर ने चौथे सीरो सर्वे के आधार पर कही है, जिसमें पाया गया है कि बच्चों और वयस्कों में सीरो पॉजिटिविटी संक्रमण लगभग बराबर है. वहीं बच्चों में बच्चों ऐस रिसेप्टर नहीं होते है जिसे उन्हें कोई खास इसका असर नहीं पड़ता है|

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आईसीएमआर के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि छोटे बच्चे वायरस को आसानी से हैंडल कर लेते हैं। उनके लंग्स में वह रिसेप्टर कम होते हैं जहां वायरस जाता है। सीरो सर्वे में देखा गया है कि 6 से 9 साल के बच्चों में लगभग उतनी ही एंटीबॉडी दिखी जितनी बड़ों में है। डॉ. भार्गव ने कहा कि यूरोप के कई देशों में प्राइमरी स्कूल बंद ही नहीं किए थे। कोरोना की किसी भी लहर में स्कूल बंद नहीं किए गए थे। इसलिए हमारी राय यह है कि पहले प्राइमरी स्कूल खोले जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि इसके बाद फिर सेकंडरी स्कूल खोले जा सकते हैं। मगर यह देखना जरूरी है कि टीचर से लेकर सभी सपोर्ट स्टाफ पूरी तरह वैक्सिनेटेड हो। हालांकि यह फैसला जिला और राज्य स्तर पर लिया जाएगा। यह कई फैक्टर पर निर्भर होगा। स्कूल से जुड़े सभी लोगों को वैक्सीन लगाना सुनिश्चत करना होगा, वहां टेस्ट पॉजिटिविटी रेट क्या है और पब्किल हेल्थ सिचुएशन क्या है, इसपर भी ध्यान देना होगा।

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आईसीएमआऱ के डीजी बलराम भार्गव ने कहा, “दो तिहाई लोगों में जिनमें बच्चे भी शामिल हैं…केवल बच्चों का देखा जाए तो आधे से ज्यादा में एंटीबॉडी पाई गई है. यूरोप जैसे देशों में प्राइमरी स्कूल बंद नहीं किए थे, बच्चे ज्यादा प्रोटेक्टेड होते हैं. बच्चों में ऐसे रिसेप्टर उनके फेफड़ों में कम होते हैं जहां वायरस चिपकते हैं. इसलिए स्कूल खुलते हैं तो पहले प्राइमरी स्कूल खोले जाएं. सपोर्ट स्टाफ को देखना होगा कि वो पूरी तरह से वैक्सिनेट हों. ये निर्भर करेगा राज्य और ज़िले के हिसाब से.”

 

 

आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर बलराम भार्गव ने ये बात आज कोरोना पर देश का चौथा नेशनल सीरो सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कही जिसमे 67.60 फीसदी लोग अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण के दायरे में आ चुके हैं जिसमें 6 से 17 साल की उम्र के बच्चे भी शामिल हैं. ये सर्वे देश के 21 राज्यों के 70 उन्हीं जिलों में सीरो सर्वे किया गया जहां पहले के तीन सर्वे किए गए चुके हैं.  बलराम भार्गव ने कहा कि छोटे बच्चे वायरस को बहुत आसानी से हैंडल कर लेते हैं| उनमें इन्फेक्शन कम देखा गया है| सर्वे में ये भी देखा गया कि 57.20 फीसदी एंटीबाडी है जो बिलकुल वयस्कों के बराबर है|

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