एक ऐसा भी स्कूल, पहाड़ों से घिरे मरेया का मामला, अधूरी व्यवस्था और जानवरों के डर से बच्चों को स्कूल नहीं भेजते पालक
सरगुजा जिला में एक ऐसा भी स्कूल है, जहां विभाग ने चार शिक्षक पदस्थ किए हैं और यहां सिर्फ 8 ही स्टूडेंट हैं। शिक्षा सत्र शुरू होने बाद यहां से अभिभावकों ने तीन बच्चों का टीसी कटवाकर एक केदमा और दो विद्यार्थियों को उदयपुर दाखिला करवा दिया। प्राचार्य अगस्त राम साहू ने बताया कि ऐसा हाल तब है, जब पिछले वर्ष का रिजल्ट 75 परसेंट से अधिक रहा।
उदयपुर ब्लाॅक अंतर्गत दूरस्थ गांव मरेया में तीन ओर से पहाड़ और एक ओर पर जंगल से घिरा है। यहां आठवीं पास करने बाद पुल नहीं होने के कारण बच्चे आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे। यहां ग्रामीणों की मांग पर शिक्षा विभाग ने वर्ष 2015-16 में लाखों रुपए से भवन बना पिछड़ी जनजातियों में शिक्षा का स्तर सुधारने स्कूल खोला। स्कूल खुलने बाद यहां 2016 में 18 स्टूडेंट थे, जिसके बाद लगातार घटते क्रम में इस वर्ष 10वीं में 3 और 9वीं में 5 विद्यार्थी दर्ज हैं, जिन्हें अध्यापन कराने विभाग ने दो नियमित और दो अतिथि शिक्षक पदस्थ किए हैं।
विगत वर्ष मरेया के मिडिल स्कूल में 11 बच्चे आठवीं में थे, जो पास होने के बाद बटपरगा, कुडेली व मरेया दो किलोमीटर के 8 विद्यार्थी हाईस्कूल गए हैं और आठवीं पास होने बाद एक बालिका का विवाह हो गया, दो अन्य स्कूलों में दाखिल हो गए। वहीं विद्यालय भवन बनने के दौरान ही एक ट्यूबवेल खनन किया, जिसमें अज्ञात लोगों ने पत्थर डालकर बंद कर दिया।
इसके बाद से अब तक स्कूल के विद्यार्थी 300 मीटर दूर से पानी लाकर पेयजल का उपयोग करते हैं। बाथरूम और शौचालय के लिए खुले में जाने की मजबूरी है। वहीं दूसरी तरफ हाईस्कूल लक्ष्मणगढ़ में दर्ज संख्या 99 है, जहां एक नियमित शिक्षक और 4 शिक्षक हैं, जिनमें एक पांच माह से अनुपस्थित है।
बाउंड्रीवाॅल के अंदर कब्जा कर ग्रामीण कर रहा खेती
विभाग ने स्कूल परिसर कैंपस को सुरक्षित करने बाउंड्री निर्माण कराया है, वह भी अधूरा है। इस कारण जंगली जानवरों का खतरा रहता है। बाउंड्री के अंदर गांव का एक व्यक्ति जमीन पर कब्जा कर खेती कर रहा है, जिसको शिक्षक सहित पंचायत ने भी कई बार मना किया, लेकिन इसके बाद भी उसने कब्जा जमाया हुआ है। संकुल समन्वयक रमेश कुमार खांडेकर ने कहा हाई स्कूल को संकुल केंद्र बनाया गया है।
सेटअप में एक प्राचार्य और चार शिक्षक जरूरी
राजीव गांधी शिक्षा मिशन 2010 के तहत उन्नयन शाला में शिक्षा विभाग द्वारा एक प्राचार्य और विषय शिक्षक पांच होते थे, लेकिन 2011-12 में संस्कृत शिक्षक को हटा दिया। इसके बाद हर हाई स्कूलों में एक प्राचार्य के साथ चार विषय के शिक्षक का सेटअप बना। इसके बाद भी सेटअप के तहत कई विद्यालय में शिक्षकों की भर्ती नहीं करा सका है। इससे परेशानी हो रही है।
ग्रामीणों को समझाएं, बच्चों का नाम लिखवाएं, हाेगी जांच
बीईओ संजीव तिवारी ने कहा हाईस्कूल हमारे अधीनस्थ से बाहर होता है। वहीं डीईओ संजय गुहे ने कहा गांव के सरपंच या ग्रामीणों को मुनादी कराकर लोगों को समझाना चाहिए कि बच्चाें का नाम लिखाएं, फिर भी मैं जांच कराता हूं।