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प्रदेश में नया अभियान:क्योंकि 3 साल में 60% बढ़े मरीज, कोरोना की तरह शुगर-बीपी टेस्ट होगा, घर पहुंचाएंगे दवा

छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग पहली बार 30 साल से अधिक के सभी लोगों के बीपी और ब्लड शुगर की जांच का बड़ा अभियान शुरू करने जा रहा है। इस अभियान के तहत हर शहर और गांव में बीपी और शुगर की जांच के लिए पूरी आबादी को कवर किया जाएगा। जांच में मिले शुगर, बीपी और हाइपरटेंशन मरीजों का पूरा डेटाबेस ऑनलाइन अपलोड होगा। इसी डेटाबेस के जरिए हर मरीज की ऑनलाइन मॉनीटरिंग की जाएगी। जो रूटीन में जांच नहीं करवाएंगे, हेल्थ अमला उन्हें ऐसा करने के लिए सूचित करेगी। यह बड़ी सुविधा यह होगी कि स्वास्थ्य विभाग ऐसे मरीजों को दवाइयां घर पहुंचाकर देगा। पूरे एक्सरसाइज से हेल्थ अमले को यह भी पता चल जाएगा कि किस गांव या शहर में डायबिटीज और हायपरटेंशन के कितने मरीज हैं?

अभियान शुरू करने के पीछे वजह यह है कि प्रदेश में बीते तीन साल में डायबिटीज और हायपरटेंशन के मरीज 60 फीसदी बढ़ गए हैं। पोस्ट और लॉन्ग कोविड मरीजों की संख्या में डायबिटीज और हायपरटेंशन के मामले ज्यादा आए हैं। नए सिस्टम में हर शहर और गांव में उसी तरह जांच करवाई जाएगी, जैसी कोरोनाकाल में करवाई गई थी। इसके लिए हेल्थ वर्कर, नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। शुगर की जांच किट और बीपी मापने के उपकरण भी दिए गए हैं।

नए मरीज साल में 2.66 लाख- स्वास्थ्य विभाग के गैर संचारी रोग विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में तीन साल पहले डायबिटीज के नए मरीजों की संख्या 1.66 लाख थी। यह 2021-22 में बढ़कर करीब 2.66 लाख हो गई है। वहीं हायपयरटेंशन के नए मरीजों की संख्या तीन साल पहले जहां 1.67 लाख थी। उसमें अब 2.64 लाख से अधिक की वृद्धि देखी जा रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अनुवांशिक रूप से हमारा देश या प्रदेश डायबिटीज और हायपरटेंशन जैसी बीमारियां के प्रति प्रोन यानी संवेदनशील माना जाता है। पहले जांच की सुविधाएं बहुत कम थीं, इसलिए इन बीमारियों के बारे में पता ही नहीं चल पाता था। नए मरीजों में महिलाओं और पुरुषों की संख्या लगभग बराबर है।

हर शहर-गांव में जांच कर बनेगा डेटा बेस, इसी से माॅनीटरिंग
प्रदेश के पांचों संभाग के गांव और शहरों में स्थित उप-स्वास्थ्य केंद्र और हमर क्लीनिक स्तर पर 30 साल से अधिक उम्र के लोगों की ब्लड, शुगर और बीपी की जांच की जाएगी। इसके आधार पर संदिग्धों को दो स्तर पर विभाजित किया जाएगा। एक वे जिनको क्लीयर कट डायबिटीज या हायपरटेंशन की बीमारी निकलेगी।

वहीं दूसरे स्तर में ऐसे लोगों को रखा जाएगा जिनमें भविष्य में इन बीमारियों के होने की आशंका रहेगी। डायबिटीज और हायपरटेंशन के इन मरीजों के स्थानीय पते के आधार पर एक डेटा बेस बनाया जाएगा। ये डेटा बेस जिला, संभाग और राज्य स्तर पर होगा। इसी डेटा बेस के जरिए मरीजों के फाॅलोअप, रूटीन जांच और दवाइयों की उपलब्धता पर ऑनलाइन नजर रखी जाएगी।

एक्सपर्ट व्यू -डॉ. नितिन एम नागरकर, डायरेक्टर, एम्स रायपुर
पोस्ट-लांग कोविड मरीजों पर ज्यादा असर
डायबिटीज और हायपरटेंशन को हल्के में नहीं लेना चाहिए। समय पर जांच-इलाज नहीं होने से डायबिटीज, बीपी जैसी बीमारियों की वजह से आंख, ब्रेन, हार्ट, किडनी में बुरा असर पड़ सकता है। इनसे जुड़ी जटिल बीमारियां भी हो सकती हैं। ऐसे पोस्ट और लांग कोविड मरीजों में शुगर-बीपी के मामले अधिक देखे जा रहे हैं। खासकर जिन्हें कोरोना के ट्रीटमेंट में स्टेरायड आदि दिया गया था। 30 की उम्र के बाद बीपी-शुगर की जांच करवानी चाहिए।

डायबिटीज और हायपरटेंशन जैसी बीमारियों की मॉनिटरिंग ऑनलाइन सिस्टम से होगी। मरीजों की जांच, इलाज और दवा का रिकॉर्ड भी ऑनलाइन रखा जाएगा।-डॉ. नवरतन, नोडल अफसर, गैर संचारी रोग

akhilesh

Chief Reporter

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