FEATUREDLatestNewsजुर्मराष्ट्रीय

धीमी न्याय प्रणाली के चलते 40 महीने जेल में काट चुके थे सुधीर धावले

मुम्बई । महाराष्ट्र के जाने-माने समाजिक कार्यकर्ता सुधीर धावले को उनके माओवादियों से कथित संबंधों के आरोप में नागपुर की सेंट्रल जेल से साल 2014 में रिहा किया गया. कोर्ट ने उन्हें आरोपों से बरी किया था लेकिन रिहाई तक वे 40 महीने जेल में काट चुके थे. उनके साथ उनके आठ साथियों को भी ऐसे आरोपों से बरी कर दिया गया था. इसी तरह साल 2005 में दलित कवि शांतनु कांबले को ऐसे ही आरोपों में गिरफ्तार किया गया. जेल में डालने से पहले उन्हें कई दिनों तक प्रताड़ित किया गया लेकिन बाद में कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया.”

देश के जाने-माने स्कॉलर आनंद तेलतुंबड़े ने अपनी क़िताब ‘रिपब्लिक ऑफ़ कास्ट’ के चैप्टर – ‘मैन्युफ़ैक्चरिंग माओइस्टः डिसेंट इन द एज ऑफ़ नियोलिब्रलिज़्म’ में ये बातें लिखी हैं.

ये बातें आज आनंद तेलतुंबड़े, वरवर राव, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज और रोना विल्सन जैसे कई लोगों की ज़िंदगी उसी मोड़ पर आ गई है.

देश के ये 11 सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक और पत्रकार बीते दो साल से एल्गार परिषद केस में जेल में बंद हैं.


वरवर राव की पहचान एक जनवादी और वामपंथी कवि की है
उन पर ‘अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ प्रिवेंशन एक्ट’ यानी यूएपीए जैसा कठोर क़ानून लगाया गया है

akhilesh

Chief Reporter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *