Uncategorized

सीता की प्यास बुझाने लक्ष्मण ने पेड़ पर मारा तीर, आज भी बह रहा पानी…

मुड़ागांव। गरियाबंद जिले के सोरिद खुर्द गांव में रमई पाठ का धाम ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। इसका संबंध रामायण और महाभारत से है। ग्रंथों में इस जगह का अलग-अलग नामों से उल्लेख मिलने के दावे भी यहां के लोग करते हैं। पहले यह पूरा इलाका बियाबान जंगल था। अब धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। मान्यता के मुताबिक, त्रेतायुग में भगवान राम के साथ माता सीता भी वनवास पर थीं। गर्भवावस्था के दौरान माता सीता को प्यास लगी। तब लक्ष्मण ने यहां एक आम के पेड़ के नीचे बाण मारा। वहां से जलधारा फुटी। तब है कि आज का दिन, उस जगह से लगातार पवित्र जल निकल रहा है। माना जाता है कि माता सीता के वनवास के दौरान इस जगह पर कई देवताओं का भी आगमन हुआ था। इनमें श्रीहरि, शिवजी, अर्धनारेश्वर, नृसिंह, गरुड़, पाताल भैरवी, काल भैरव आदि का जिक्र ग्रामीणों की जुबान पर आता है। किवदंती के मुताबिक, सभी देवताओं ने माता सीता को मनाने की कोशिश की, लेकिन माता सीता ने बनवास में ही रहने का निर्णय लिया। उसी समय से यह स्थान रमई पाठ के नाम से पहचाना जाने लगा। नवरात्रि पर जगमगाती हैं मनोकामना ज्योति हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्रि पर मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। भक्त यहां अपनी मनोकामनाओं की ज्योति भी प्रज्ज्वलित करवाते हैं। इस साल नवरात्रि पर मंदिर में 1,091 मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित की गई। भक्तों की आस्था है कि माता रमई पाठ उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं। खासकर निसंतान दंपतीयों को संतान प्राप्ति होने की मान्यता है। संतान प्राप्ति के बाद भक्त यहां लोहे की सांकल चढ़ाने की रस्म निभाते हैं। रमई पाठ धाम की देखरेख और व्यवस्था 11 गांवों की समिति द्वारा की जाती है।

akhilesh

Chief Reporter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *