जेल में कवासी लखमा साढ़े पांच घंटे तक हुई पूछताछ, पूछा- शराब घोटाले की वसूली में कितना मिला…
रायपुर। ईओडब्ल्यू ने 2161 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में जेल भेजे गए पूर्व आबकारी मंत्री एवं कोंटा के कांग्रेस विधायक कवासी लखमा से पूछा कि अवैध वसूली में उन्हें कितना हिस्सा मिला। इसका कहां खपाया और कितने लोग इसमें शामिल थे। इसका जवाब देते हुए कवासी ने कहा कि कोई घोटाला ही नहीं हुआ तो हिस्सेदारी का सवाल ही नहीं उठता। उन्हें परेशान करने के लिए झूठे मामले में फंसाया गया है।
छापेमारी में उनके ठिकाने में तलाशी के दौरान कुछ नहीं मिला इसके बाद भी आरोपी बनाया गया है। जांच एजेंसी चाहे जहां जितनी बार पूछे हर बार उनका एक ही जवाब रहेगा। विशेष न्यायाधीश की अनुमति के बाद ईओडब्लू के डीएसपी और दो टीआई स्तर के अधिकारियों ने सुबह 11.30 से शाम 5 बजे सेंट्रल जेल के भीतर बंद कमरे में पूछताछ की। करीब 5.30 घंटे तक चली पूछताछ के दौरान हर सवालों का कवासी लखमा ने नकार दिया। 20 को फिर दूसरे दौर की पूछताछ होगी। बता दें कि ईओडब्ल्यू की टीम अपने साथ सवालों की सूची लेकर गए थे।
फिर कहा- अफसरों के कहने पर हस्ताक्षर
कवासी लखमा ने शराब घोटाला मामले में पैसा लेने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे पढ़े-लिखे नहीं हैं। इस वजह से अफसर उन्हें फाइल पढ़कर सुनाते थे। उनके कहने पर फाइलों में हस्ताक्षर करते थे। बता दें कि इसके पहले भी वह मीडिया और कोर्ट में इस बात को दोहरा चुके हैं।
संपत्तियों के संबंध में होगी पूछताछ
ईओडब्ल्यू दूसरे दौर की पूछताछ के दौरान 20 मार्च को कवासी लखमा से उनके और परिजनों के नाम चल-अचल संपत्तियों के संबंध में पूछताछ करेगी। हालांकि जांच एजेंसी द्वारा अधिकारिक रूप से इसका खुलासा नहीं किया गया, लेकिन कुल आय-व्यय और कांग्रेस भवन निर्माण में दी गई राशि के आय के स्त्रोत की जानकारी ले सकती है।
ईओडब्ल्यू के आधिकारिक सूत्रों ने अनुसार कुल 7 बिंदुओं पर पूछताछ की गई। इसमे कवासी लखमा से शराब घोटाले में उनकी भूमिका, वसूली की रकम में हिस्सेदारी, सिंडीकेट में शामिल अन्य लोगों के नाम, शराब नीति बदलने की वजह, अन्य अफसरों की भूमिका, कांग्रेस भवन निर्माण में खर्च की गई रकम। साथ ही फाइलों में हस्ताक्षर करने के एवज में मिलने वाली रकम और पहुंचाने वाले लोगों का ब्यौरा लिया गया।
बताया जाता है कि अधिकांश सवालों को कवासी लखमा ने नकार दिया। साथ ही कहा कि ईडी को पहले ही वह जवाब दे चुके हैं। चाहे तो उनके द्वारा दिए गए बयान की फाइल लेकर पढ़ सकते हैं। कोर्ट में भी वह अपना पक्ष रख चुके हैं। अब इसमें पूछने जैसा कुछ नहीं रह गया है।