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स्वच्छ सर्वेक्षण में स्टार ग्रेडिंग का दावा करने वाली निगम की खुली पोल,कोर्ट में उपस्थित होंगे चीफ इंजीनियर

बिलासपुर –  स्वच्छ सर्वेक्षण में केंद्र सरकार के मापदंड पर खरे उरतने और स्टार ग्रेडिंग का दावा करने वाली नगर निगम की पोल उस वक्त खुल गई जब एक शहरवासी ने जनहित याचिका दायर कर जगह-जगह डंप कचरे और निर्माण सामग्री के कारण लोगों को आने जाने में परेशानी होने की जानकारी दी है। जनहित याचिका की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने बिलासपुर नगर निगम के चीफ इंजीनियर को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। डिवीजन बेंच ने निगम के चीफ इंजीनियर को व्यक्गित रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है। इसके लिए 25 अगस्त की तिथि तय कर दी है।

बिलासपुर के निवासी एसके नाथ ने अपने वकील के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर नगर निगम की लापरवाही की पोल खोल दी है। याचिकाकर्ता ने निगम द्वारा शहर के भीतर जगह-जगह कचरा डंप करने और इससे उठने वाले दुर्गंध से लोगों की आवाजाही में मुश्किल होने के कारण आसपास के मोहल्लेवासियों की बढ़ती परेशानी की जानकारी दी है। याचिकाकर्ता ने स्वास्थ्य का मुद्दा भी उठाया है। बहतराई से लगे सरोज विहार का मामला भी याचिकाकर्ता ने उठाया है। यहां भी निगम द्वारा कचरा डंप किया जा रहा है।

याचिकाकर्ता ने इस बात की भी शिकायत दर्ज कराई है कि निगम के पास संसाधन उपलब्ध होने के बाद तय जगहों पर जहां कचरा डंपिंग के लिए चिन्हांकित किया जा रहा है वहां कचरा नहीं डाला जा रहा है। घर-घ्ार से कचरा निकालने और कछार के डंपिंग स्पाट में कचरा डंप करने के लिए ठेका कंपनी को ठेका भी दे दिया है। लाखों स्र्पय कंपनी को भुगतान भी किया जा रहा है। कछार के डंपिंग स्पाट में जितना कचरा नहीं है उससे कहीं ज्यादा शहर के अलग-अलग जगहों पर डंप है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि नगर निगम के अधिकारी शहरवासियों के साथ ही नौनिहाल के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। नागरिक सुविधाओं से निगम के अफसरों को कोई लेना देना नहीं रह गया है। जनहित याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने निगम के अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया था। निगम के अधिकारियों ने कोर्ट को बताया था कि शहर के कुछ जगहों पर कचरा डंप करने के लिए नगर निगम ने ही जगह चिन्हांकित किया है। इन्हीं जगहों पर कचरा डंप किया जा रहा है।

निगम के इंजीनियरों की जवाब के बाद डिवीजन बेंच ने नगर निगम कमिश्नर को नोटिस जारी कर पूछा है कि कचरे की समस्या से शहरवासियों को कब तक मुक्ति मिलेगी। यह समस्या कब तक निगम दूर कर लेगा। एक सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने निगम के चीफ इंजीनियर को जवाब के साथ व्यक्तिगत उपस्थित होने का निर्देश दिया है। इसके लिए 25 अगस्त की समय सीमा तय की गई है।

नगर निगम ने स्वच्छ सर्वेक्षण में टाप रेटिंग के लिए ब्रांड एंबेसडरों की नियुुक्ति भी की है। इनके जरिए लोगों को घर के बाहर नालियों व प्रमुख जगहों पर कचरा ना फेंकने की सलाह दी जा रही है। डस्टबीन में ही कचरा डालने और डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के तहत घर-घर पहुंचने वाली कचरा गाड़ी में कचरा देने कहा जा रहा है। अचरज की बात ये कि निगम के ब्रांड एंबेसडर लोगों को कचरा गाड़ी या डस्टबीन में कचरा डालने की सलाह दे रहे हैं इधर निगम शहर के भीतर कचरों का पहाड़ खड़ा कर रहा है।

 

बीते दिनों कलेक्टर व जिला दंडाधिकारी सौरभ कुमार ने धारा 133 को नगर निगम सीमा में दो महीने के लिए प्रभावशील करते हुए आदेश जारी कर दिया है। सड़कों की खोदाई से पहले निर्माता कंपनियों या ठेकेदारों को आनलाइन अनुमति लेने के साथ ही सड़कों पर कचरा या निर्माण सामग्री डंप करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। निगम सीमा के भीतर लागू इस आदेश का क्रियान्वयन कराने की जिम्मेदारी निगम प्रशासन की है।

akhilesh

Chief Reporter

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