नेता प्रतिपक्ष के चयन में फिर बटी भाजपा, 17 को होगा मंथन
रायपुर – छत्तीसगढ़ में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बदलने के बाद अब नेता प्रतिपक्ष को बदलने की चर्चा तेज हो गई है। भाजपा के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल रायपुर पहुंच गए हैं। बताया जा रहा है कि प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी और सहप्रभारी नितिन नबीन 16 अगस्त की शाम को रायपुर पहुंचेंगे। 17 अगस्त को प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में नए नेता प्रतिपक्ष को लेकर मंथन किया जाएगा। हालांकि नेता प्रतिपक्ष बदले जाने की चर्चा के बीच भाजपा फिर दो धड़े में बंट गई है।
यह स्थिति ठीक पौने चार साल पहले जैसी है, जब भाजपा के हाथ से 15 साल की सत्ता फिसल गई थी। उस समय भी पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के विरोधी खेमे ने नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए पूरी ताकत लगाई थी। उस समय वरिष्ठ आदिवासी विधायक ननकीराम कंवर और ओबीसी विधायक नारायण चंदेल का नाम सामने आया था। इस बार ननकी की उम्र को देखते हुए रमन विरोधी खेमा दांव लगाने को तैयार नहीं है। कुल मिलाकर नारायण चंदेल का नाम एक बार फिर आगे बढ़ाया जा रहा है। एक खेमे से डा. रमन का नाम तो दूसरे खेमे से बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर और शिवरतन शर्मा का नाम सामने आ रहा है।
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव से पहले विधानसभा का तीन सत्र होगा। इसमें पांच से सात दिन का शीतकालीन सत्र, करीब एक महीने का बजट सत्र और तीन से पांच दिन का मानसून सत्र होगा। ऐसे में अगर किसी नए विधायक को नेता प्रतिपक्ष चुना भी जाता है, तो सिर्फ डेढ़ महीने ही सदन की कार्यवाही चलेगी। भाजपा के आला पदाधिकारियों की मानें तो धरमलाल कौशिक (प्रदेश अध्यक्ष रहते) के नेतृत्व में भले ही भाजपा ने विधानसभा चुनाव में हार का सामना किया, लेकिन यह हार सिर्फ कौशिक के खाते में नहीं जाती है। रमन सरकार के नौ मंत्री चुनाव हार गए।
रमन सरकार में बस्तर से दो और सरगुजा से दो मंत्री थे, लेकिन बस्तर की 12 और सरगुजा की 14 विधानसभा सीटों में से एक पर भी भाजपा की जीत नहीं हुई, जबकि लोकसभा चुनाव में सरगुजा और कांकेर में भाजपा प्रत्याशियों की जीत हुई। भाजपा नेताओं की मानें तो नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाता है, तो भी वही परिस्थिति होगी। चर्चा है कि प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी वर्ग और बिलासपुर संभाग से बनने के कारण नेता प्रतिपक्ष को बदला जा रहा है। ऐसे में चंदेल भी ओबीसी और बिलासपुर संभाग से ही आते हैं।
यह है विधानसभा में भाजपा विधायकों का समीकरण
विधानसभा में वर्तमान में भाजपा के सिर्फ 14 विधायक हैं। इनमें नेता प्रतिपक्ष की दौड़ से ननकीराम कंवर, पुन्नूलाल मोहिले (उम्र के कारण), सौरभ सिंह, डा. केएम बांधी, डमरूधर पुजारी, विद्यारतन भसीन (जातिगत समीकरण) और रजनीश सिंह, रंजना साहू पहली बार के विधायक होेने के कारण बाहर हैं। कौशिक वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष हैं। डा. रमन पूर्व मुख्यमंत्री होने के कारण नेता प्रतिपक्ष बनना नहीं चाहते हैं। ऐसे में अब बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, शिवरतन शर्मा और नारायण चंदेल की दावेदारी बनती है।
सरकार से बाहर तो शिवरतन-चंदेल की दावेदारी
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो रमन सरकार में भागीदार रहे विधायकों से बाहर का अगर नेता प्रतिपक्ष बनाना है, तो शिवरतन शर्मा और नारायण चंदेल की दावेदारी है। हालांकि चंदेल भी रमन सरकार में विधानसभा उपाध्यक्ष रहे हैं। शर्मा को निगम-मंडल से बड़ी जिम्मेदारी रमन सरकार में नहीं मिली है।
कांग्रेस में ब्राह्मण नेताओं के प्रभाव को देखते हुए पार्टी शर्मा पर भी दांव खेल सकती है। अग्रवाल और चंद्राकर रमन सरकार में मंत्री रहे हैं। चंद्राकर को हाल ही में पार्टी ने मुख्य प्रवक्ता नियुक्त किया है। अग्रवाल को हर घर तिरंगा अभियान का प्रभारी बनाया गया है। चर्चा है कि अग्रवाल को चुनाव संचालन समिति की जिम्मेदारी मिल सकती है।