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छत्तीसगढ़ के स्कूलों में ‘मिड-डे मील’ बन रहा सेहत का दुश्मन

रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों की थाली में सरकार ज़हर परोसने से बाज़ नहीं आ रही। ‘प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना’ के दिशा-निर्देशों को दरकिनार कर राज्य के कई स्कूलों में अब भी एल्युमिनियम के कुकर और बर्तनों में मिड-डे मील पकाया और परोसा जा रहा है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक एल्युमिनियम लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर बच्चों के दिमाग़ी और शारीरिक विकास पर गंभीर असर डालता है। शोध बताते हैं कि एल्युमिनियम से अल्ज़ाइमर, किडनी और लिवर की बीमारियों का ख़तरा बढ़ता है। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग ने निविदा क्रमांक GEM/2025/B/6513185 के तहत एल्युमिनियम कुकर और बर्तनों की ख़रीदी का टेंडर जारी किया है। सवाल उठता है कि क्या यह निविदा बच्चों के स्वास्थ्य के साथ सौदा करने और कुछ चुनिंदा कारोबारियों को फ़ायदा पहुँचाने की कोशिश नहीं है?

हमारे रिपोर्टर की ग्राउंड रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि न तो मिड-डे मील पकाने वाले किचन स्टाफ़ को इस खतरे की जानकारी है और न ही स्थानीय प्रशासनिक अफ़सरों को कोई चिंता। अधिकांश स्कूलों में वही पुराने एल्युमिनियम कुकर उपयोग किए जा रहे हैं।

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दिलचस्प यह है कि केंद्र सरकार और कई राज्यों ने बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए स्टील या फूड-ग्रेड स्टेनलेस स्टील के बर्तन अनिवार्य कर दिए हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ की सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग अब भी आंखें मूंदे हुए हैं।

राज्य के हज़ारों बच्चे रोज़ाना इस भोजन को खाने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में यह बड़ा सवाल खड़ा होता है कि जब देश के अन्य राज्य बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे रहे हैं, तो छत्तीसगढ़ कब तक इस ‘खुली लापरवाही’ को जारी रखेगा?

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