प्रधानमंत्री का मानव सभ्यता से लगाव कम, जीव-जंतुओं से अधिक है, मंत्री अमरजीत भगत
छत्तीसगढ़ के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि देश के प्रधानमंत्री वैराग्य की ओर जाने लगे हैं। उन्होंने यह बयान केंद्र सरकार द्वारा नामीबिया से लाए जाने वाले चीतों के मामले में दिया है।
रायपुर में हुए एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया ने 17 सितंबर को नामीबिया से भारत लाए जाने वाले चीतों के बारे में संस्कृति मंत्री से सवाल पूछा। इसके जवाब में अमरजीत भगत ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री का मानव जीवन, मानव सभ्यता के प्रति लगाव नहीं दिखता। अन्य जीव-जंतुओं को लेकर उनका लगाव अधिक दिखता है, वह वैराग्य की ओर जाने का रास्ता तय कर रहे हैं।
संस्कृति मंत्री अपने ही विभाग की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे। सिविल लाइंस स्थित विभाग के कार्यालय में छत्तीसगढ़ की संस्कृति के संवाहक सरिता राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम में अकादमिक सत्रों में शोध पत्रों का वाचन और प्रस्तुति प्रदर्शनी लगाई गई, प्राचीन सिक्कों और रियासतों के ऐतिहासिक दस्तावेज दिखाए गए। छत्तीसगढ़ लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। 16 से 18 दिसंबर तक यह कार्यक्रम चलेगा।
पिछली सरकार ने आदिवासियों की ओर नहीं दिया ध्यान
कार्यक्रम के बाद मीडिया से चर्चा में संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा- वनांचल,आदिवासियों को पिछली सरकार में तेंदूपत्ता 2500 रुपए में बिकता था, कांग्रेस सरकार आने के बाद आज तेंदूपत्ता 4000 मानक बोरा बिक रहा है।
यहां माता कौशल्या मंदिर का विकास हुआ है। इससे हमारे भक्ति भाव पक्ष और मजबूत होता है। कुछ लोग राम के नाम पर सिर्फ राजनीति करते आए हैं, गाय माता को वोट का साधन बनाते हैं। हमने गौ माता की सेवी की है। इसलिए छत्तीसगढ़ का विपक्ष विचलित है।
बीजेपी ने किया पलटवार
इधर, मंत्री अमरजीत भगत के बयान के बाद बीजेपी ने इसका जवाब दिया है। बीजेपी प्रवक्ता केदार गुप्ता ने कहा कि मोदी जी का मानव सेवा के प्रति प्रेम तो कोविड काल में दिख चुका है। 200 करोड़ वैक्सीन के डोज पूरे देश के लोगों को मुफ्त में लगाए गए। आपको थोड़ा समय लगाने दिया गया था। उसमें भी आपने जाति में बांट दिया। सिर्फ वैक्सीनेशन के डोज ही नहीं, पूरे देश के 80 करोड़ लोगों के लिए अनाज की व्यवस्था भी मोदी जी ने की है। आप थोड़ा भी सीख लो, आप अपने ही क्षेत्र के आदिवासी लोगों की परंपरा, स्वास्थ्य और संस्कृति की रक्षा कर लो। पूरे प्रदेश की रक्षा तो आप कर नहीं सकते।