23 जिलों की 3000 महिलाएं सड़क पर रात बिताने को मजबूर,
रायपुर – जब प्रशासनिक अफसर और आम लोग अपने घरों में आराम की नींद फरमा रहे थे, तब राजधानी रायपुर की सड़कों पर हजारों महिलाएं खुले में पड़ी हुई थीं। दिन ढलने के बाद सड़क से गुजरने वाले शराबी कमेंट पास कर रहे थे, रात जैसे चढ़ती चली गई गंदगी, गर्मी और मच्छर ने हाल बेहाल कर दिया।
सड़क पर रात बिताने को मजबूर हुई हैं ये सभी महिलाएं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका हैं। यह सभी 3000 महिलाएं गुरुवार को प्रदेश के अलग-अलग 23 जिलों से इकट्ठा होकर राजधानी रायपुर पहुंचीं। अपनी मांग के लिए आंदोलन करने लगी। शुक्रवार को भी शाम तक उनका आंदोलन इसी तरह चलता रहेगा।
अफसर तो आराम से सो रहे होंगे साहब
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ की सुधा रात्रे ने बताया कि महिलाएं इतनी गर्मी में सड़क पर पड़ी हुई है। विभाग के अधिकारी तो आराम से अपने घर पर सो रहे होंगे। हमारी मांगों को अब तक प्रशासनिक अधिकारियों ने लंबित रखा है। हम चाहते हैं कि अब हमारी मांग पूरी की जाए, इसीलिए हमने इस तरह से रायपुर में महापड़ाव का आयोजन किया है। अपनी बात को जिम्मेदारों तक पहुंचा कर ही दम लेंगे।
छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन सीटू के आवाहन पर यह सभी महिलाएं रायपुर पहुंची हैं । यह सभी चाहती है कि इन्हें कलेक्टर दर पर मेहनताना दिया जाए । फिलहाल इन्हें लगभग 6000 रुपये मिलते हैं। पिछले चुनावों में कांग्रेस के घोषणा पत्र में कलेक्टर दर पर मानदेय देने का वादा किया गया था। अब सभी महिलाएं चाहती हैं कि उसी वादे को निभाया जाए।