FEATUREDLatestNewsछत्तीसगढ़रायपुर

छत्तीसगढ़ के कुरदर, सरोधा दादर और धनकुल रिसॉर्ट में जनजातीय संस्कृति से परिचित होंगे पर्यटक

रायपुर| छत्तीसगढ़ पर्यटन मण्डल द्वारा भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना- ’’ट्राइबल टूरिज्म सर्किट’’ के तहत कुरदर, सरोधा दादर और धनकुल में रिसॉर्ट बनाए गए हैं। 28.91 करोड़ रूपए से निर्मित तीनों रिसॉर्ट का लोकार्पण मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा विगत 14 अगस्त को अपने रायपुर निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया गया है। यहां पर्यटकों को जनजातीय संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलेगा।

कुरदर हिल ईको रिसॉर्ट का निर्माण 4 करोड़ 69 लाख 45 हजार रूपए से किया गया है। यह बैगा विलेज कुरदर बिलासपुर से 52 किलोमीटर एवं बेलगहना से 12 किलोमीटर की दूरी पर अचानकमार टाईगर रिजर्व से लगी पहाड़ी पर स्थित है। ईको डेस्टीनेशन के रूप में कुरदर को विकसित किया गया है। घनें वनों से अच्छादित छत्तीसगढ़ की नैसर्गिक सुंदरता और प्रकृति हरियाली की चादर ओढ़े कुरदर हिल ईको रिसॉट पर्यटकों को आकर्षित करती है।
बैगा एथनिक रिसॉर्ट सरोधादादर का निर्माण 13 करोड़ 28 लाख 89 हजार रूपए से किया गया है। धरती और आकाश को मिलते हुए देखने का रोमांचक एवं अद्भूत दृश्य सरोधा दादर में देखा जा सकता है। यह चिल्फी घाटी पर स्थित है। एथनिक रिसॉर्ट के व्यू प्वाइंट से सूर्याेदय और सूर्यास्त के समय कुदरत की खुबसूरती को बहुत ही करीब से देखा जा सकता है। पहाड़ी पर स्थित एथनिक रिसॉर्ट में ट्राइबल थीम पर हट्स, कैफेटेरिया और इंटरप्रिटेशन सेंटर का निर्माण किया गया है। यहां से पर्यटक घनें वनों से अच्छादित छत्तीसगढ़ की नैसर्गिक सुंदरता का लुफ्त उठा सकते हैं। इस एथनिक रिसॉर्ट में छत्तीसगढ़ में पहली बार विदेशों के तर्ज पर पर्यटकों के आवास के लिए वूडन कॉटेज का निर्माण किया गया है। इस रिसॉर्ट में एक भव्य मुक्ताकाश मंच का भी निर्माण किया गया है।

धनकुल एथनिक रिसॉर्ट का निर्माण 10 करोड़ 92 लाख 72 हजार रूपए से किया गया है। कोण्डागांव की खुबसूरत वादियों में पर्यटकों के लिए इस रिसॉर्ट का निर्माण किया गया है। धनकुल एथनिक रिसॉर्ट जनजाति सामुदाय की परंपरागत विशेषताओं को वृहद रूप से संजोएं हुए किसी भी ट्राइबल विलेज से कम नहीं है। यहां आगमन के साथ ही जगदलपुर पैलेस की प्रतिकृति में निर्मित भव्य प्रवेश द्वार अपने वैभवशाली अपने अतीत की कहानी खुद बयां करता है। इस रिसॉर्ट में जनजातीय परंपरागत शैली में संग्रहालय का निर्माण किया गया है। जहां जनजातीय सामुदाय के विभिन्न कालखण्ड़ों में दैनिक जीवन में उपयोग में लाए जाने वाले दुर्लभ वाद्ययंत्रों, कृषि उपकरण, लौह शिल्प, काष्ठ शिल्प, ढोकरा शिल्प, टेराकोटा एवं बांस शिल्प से निर्मित विभिन्न कलाकृतियों को धरोहर के रूप में प्रदर्शित किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Follow Us

Follow us on Facebook Follow us on Twitter Subscribe us on Youtube