GeneralLatestNewsUncategorizedछत्तीसगढ़रायपुर

रायपुर में तैयार कर रही महिलाएं, 3 हजार लीटर बेच भी चुकीं गोबर वाला पेंट

रायपुर में पिछले कुछ दिनों से गोबर वाले पेंट को बनाने का काम चल रहा था। इस दिवाली इसे लोगों ने खरीदा और इस्तेमाल किया है। गोबर वाले पेंट को बनाने और इसे बेचने वाली स्व सहायता समूह की महिलाओं की भी दिवाली आर्थिक तौर पर इस बार अच्छी हो गई है।

गोबर से पेंट बनाने का काम रायपुर के जरवाय इलाके में हो रहा है। यहां गौठान में गोबर से इसे तैयार किया जा रहा है। इसे प्राकृतिक पेंट कहा गया है। ये बिल्कुल वैसा ही है जैसा डिस्टेंपर बाजारों में मिलता है। इसे ठीक उसी तरह से पुताई के काम के लिए दीवारों पर लगाया जा सकता है। गोवर्धन स्व सहायता समूह की महिलाएं इसे तैयार कर रही हैं। महिलाएं बताती हैं कि क्वालिटी के मामले में बाजार के पेंट से कम नहीं है।

यहां के गोबर से बने पेंट का उपयोग सबसे पहले रायपुर नगर निगम के भवन की पुताई के लिए किया गया था। नगर निगम की बिल्डिंग की पुताई के लिए 500 किलो पेंट का उपयोग किया गया। अंबिकापुर में 120 लीटर और कोरबा में 70 लीटर पेंट का उपयोग स्थानीय लोगों ने किया है। अब तक 3 हजार लीटर पेंट बिक चुका है।

जरवाय गौठान की स्व सहायता समूह की अध्यक्ष धनेश्वरी रात्रे बताती है की उनके समूह में 22 महिलाएं काम करती हैं। गोबर से पेंट बनाने के लिए महिलाओं ने जिला प्रशासन की मदद से ट्रेनिंग ली। पेंट बनाने की शुरुआत अप्रैल 2022 से हुई। गोबर से निर्मित पेंट आधा लीटर, एक, चार, और दस लीटर के डिब्बों में मिलता है।

घर को रखता है ठंडा, कीमत भी आधी
रायपुर जिला प्रशासन की तरफ से दी गई आधिकारिक जानकारी के मुताबिक बाजार में मिलने वाले अधिकतर पेंट में हैवी मेटल्स मिले होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं गोबर से निर्मित पेंट प्राकृतिक पदार्थों से मिलकर बनता है । इसलिए इसे प्राकृतिक पेंट भी कहते है। केमिकल युक्त पेंट की कीमत 350 रुपए प्रति लीटर से शुरू होती है। गोबर वाला पेंट 150 रुपए से शुरू है। यह पेंट एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल है साथ ही घर के दीवारों को गर्मी में गर्म होने से भी बचाता है।

ऐसे बनता है गोबर से प्राकृतिक पेंट
गोबर को पहले मशीन में पानी के साथ अच्छे से मिलाया जाता है फिर इस मिले हुए घोल से गोबर के फाइबर और तरल को डी-वाटरिंग मशीन के मदद से अलग किया जाता है। इस लिक्विड को 100 डिग्री में गरम कर के उसका अर्क बनता है जिसे पेंट के बेस की तरह इस्तेमाल किया जाता है। जिसके बाद इसे प्रोसेस कर पेंट तैयार होता है। कुदरती कलर्स मिलाए जाते हैं। इसमें कार्बोक्सी मिथाइल सेल्यूलोज (सीएससी) होता है। सौ किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा सीएमसी तैयार होता है। कुल निर्मित पेंट में 30 प्रतिशत मात्रा सीएमसी की होती है।

छत्तीसगढ़ के स्कूलों में गोबर पेंट का ही होगा इस्तेमाल
छत्तीसगढ़ के स्कूलों की रंगाई-पोताई अब गोबर से निर्मित पेंट से होगी। इसे लेकर प्रदेश की सरकार ने आदेश जारी कर दिया था। मुख्यमंत्री ने ग्रामीण महिलाओं को रोजगार का जरिया देने और उनकी आय बढ़ाने के लिए सभी स्कूलों में रंगाई-पोताई गोबर से बने पेंट से करने के निर्देश दिये हैं। CM ने मुख्य सचिव से कहा था कि, राज्य की सभी शासकीय स्कूलों में पोताई कार्य में गौठान या रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में निर्मित गोबर से बने पेंट का उपयोग करने के निर्देश जारी करें, अब स्कूलों में इसका इस्तेमाल हो रहा है।

गोबर से बन रही बिजली और गुलाल

राज्य सरकार गाय पालने वाले किसानों से गोबर तो खरीद ही रही है। इसके अलावा राज्य सरकार गोबर से ही बिजली बनाने का काम भी कर रही है। पिछले साल गांधी जयंती के दिन सीएम ने गोबर से बिजली बनाए जाने की परियोजना का शुभारंभ किया था। इसके तहत अब राज्य में गोबर से ही बिजली बनाने का काम किया जा रहा है। वहीं रायपुर की सामाजिक संस्था एक पहल गोबर से ही गुलाल बनाने का काम कर रही है। इसी साल सीएम भूपेश गोबर से बने ब्रीफकेस में राज्य का बजट लेकर भी विधानसभा पहुंचे थे। जिसकी चर्चा देशभर में हुई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Follow Us

Follow us on Facebook Follow us on Twitter Subscribe us on Youtube