भारत-चीन की बातचीत का क्या नतीजा निकला?
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख की लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC पर अप्रैल-मई 2020 से ही गतिरोध और तनाव बना हुआ है| इस दिशा में चीजों को सुधारने के लिए 31 जुलाई यानी शनिवार को भारत-चीन के बीच कमांडर लेवल की वार्ता हुई| ये दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच 12वें दौर की वार्ता थी, जो कि करीब 9 घंटे चली| इस दौरान फोकस इस बात पर ही रहा कि ईस्टर्न लद्दाख में दोनों सेनाएं किस तरह करीब सवा साल से जारी गतिरोध को ख़त्म करें और डिसइंगेजमेंट की प्रोसेस शुरू हो |हॉट स्प्रिंग्स जैसे पॉइंट्स अहम रहे और यहां से डी-एस्केलेशन यानी फोर्स पीछे हटाने को लेकर चर्चा हुई|
ये वार्ता LAC पर चीन की तरफ मोल्डो में शुरू हुई थी| गोगरा पर फोकस इसलिए रहा क्योंकि यहां पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं| हालांकि कई दौर की वार्ता के बाद पैंगोंग झील के किनारों समेत कुछ पॉइंट्स पर डिसइंगेजमेंट हो चुका है| इसलिए अब बाकी पॉइंट्स पर ये प्रोसेस शुरू करने की पहल की गई है|
इससे पहले 9 अप्रैल को दोनों देशों के बीच 11वें दौर की वार्ता हुई थी. वो वार्ता चुशूल बॉर्डर पॉइंट पर हुई थी और करीब 13 घंटे तक चली थी| उसके अब करीब साढ़े 3 महीने बाद ये बातचीत हुई है| चीन ने बातचीत के लिए 26 जुलाई की तारीख़ दी थी, लेकिन उस दिन कारगिल विजय दिवस होने के कारण भारत ने आगे बढ़ाने के लिए कहा| फिर 31 जुलाई का तारीख़ तय हुई|
चीन की हरकतें जारी हैं अभी 13 जुलाई की ही बात है, जब भारतीय सीमा में चीन के सैनिकों की घुसपैठ का मामला सामने आया था| 6 जुलाई को तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा का जन्मदिन मनाया जा रहा था| भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे लेकर ट्वीट किया था| इसी दौरान चीन के सैनिकों ने लद्दाख के डेमचोक में घुसपैठ कर दी| विरोध के बैनर दिखाते हुए झंडे लहराए| ये घुसपैठ डेमचोक से लगभग 30 किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व में कोयुल के पास डोले टैंगो में की गई| चीन के सैनिक 5 गाड़ियों में सवार होकर आए, और विरोध जताकर चले गए| चीन के सैनिक करीब 30 मिनट तक भारतीय सीमा के भीतर रहे थे|