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आर्मी जवान पति का शव देखने गई पत्नी को ससुराल से बेज्जत कर भगाया… महिला ने की खुद्खुशी…

एटा।   आर्मी के एक जवान की खुदकुशी के बाद अब उसकी पत्नी ने भी जान दे दी है। दिल दहलाने वाली ये घटना यूपी के एटा की है। एटा  जनपद के रहने वाले भारतीय सेना के एक जवान ने 8 तारीख को जम्मू के राजौरी अपनी तैनाती के स्थल पर सुसाइड कर लिया था, जिसके बाद उसका पार्थिव शरीर एटा में अंतिम संस्कार के लिए लाया गया। पत्नी जब अपने पति का आखिरी बार चेहरा देखने ससुराल पहुंची तो वहां उसको ससुराल वालों ने बेइज्जत कर बाहर निकाल दिया. जिसके बाद मायके लौटकर पत्नी ने भी आत्महत्या कर ली है. आरोप है कि, ससुराल की महिलाओं ने उसे धक्के मारकर बाहर निकाला और उसका सार्वजनिक अपमान किया| पत्नी रोती रही, गिड़गिड़ाती रही, ससुराल वालों का पैर पकड़ कर अपने पति का अंतिम बार चेहरा देख लेने की मिन्नतें करती रही लेकिन ससुराल के लोगों का दिल नहीं पसीजा| उन्होंने धक्के मारकर उसको वहां से भगा दिया. उस पर ये कटाक्ष किए कि ये हमारे बेटे को खा गई. इस सार्वजनिक अपमान से तंग आकर आरती ने बीते दिन अपने घर मे फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली है|

पति की मौत से और ससुरालीजनों के सर्वजसनिक रूप से बेइज्जत किये जाने से आहत आरती कहती थी कि मैं जीते जी मुझे नहीं मिलने दिया तो मैं मरकर अपने अरविंद से मिलूंगी और उसने अरविंद से मिलने के लिए आज मौत को गले लगा लिया| इस घटना से पूरे एटा जनपद में शोक का माहौल है|

मामला एटा जनपद के कोतवाली देहात के बिजौरी गांव का है जहां जम्मू के राजौरी में तैनात रहे सेना के जवान अरविंद चौहान की मौत के बाद उसकी आहत पत्नी ने भी बीते दिन फांसी लगाकर आत्म हत्या कर ली| अरविंद ने 8 अगस्त 2021 को जम्मू के राजौरी में अपनी तैनाती स्थल पर ही फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया था. बताया जाता है कि उसका अपनी पत्नी से पारिवारिक विवाद चल रहा था|

इस बीच मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाला मामला उस समय सामने आया जब जवान अरविंद चौहान की पत्नी अपने पति की मौत की खबर सुनकर रोती बिलखती अपनी ससुराल एटा जनपद के थाना बिजौरी में ससुराल पहुंची| पहले से ही दुःखो का पहाड़ झेल रही आरती को वहां ससुराली जनों ने ना केवल सार्वजनिक तौर पर बेइज्जत किया बल्कि उसको अपने पति का चेहरा भी नहीं देखने दिया और ना ही हिन्दू धर्म की रीति रिवाज, रस्म को पूरा करने दिया|

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देर रात करीब 3 बजे की आत्महत्या

ससुराल की महिलाओं ने आरती को धक्के मारकर वहां से भागा दिया. इस बीच आरती अपने ससुराली जनों और रिश्तेदारों के पैर पकड़ कर गिड़गिड़ाई और रहम की भीख भी मांगी लेकिन वहां एकत्रित हजारों की भीड़ में से भी किसी का दिल नहीं पसीजा. जब आरती की लाख कोशिशों के बाद भी किसी ने आरती को अपने मृत पति का अंतिम बार चेहरा देखने की मुराद पूरी नहीं होने दी तो आरती ने भी जिंदगी और मौत के अंतर को मिटाकर बडा निर्णय ले लिया. बताया जा रहा है कि अपने घर लौटी आरती बहनों और मां के साथ लेटी थी कि तभी रात 3 बजे के लगभग वो उठी और अलग कमरे में जाकर पंखे से साड़ी का फंदा अपने गले में डालकर झूल गई|

इस बीच आरती के पिता ने पुलिस को लिखित में दी सूचना में आरती के ससुरालीजनों को उसकी आत्महत्या को जिम्मेदार ठहराते हुए आवश्यक कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है| उन्होंने कहा है कि उनकी बेटी को उसके पति का अंतिम बार चेहरा भी नहीं देखने दिया गया और उसका अपमान किया गया जिससे उसने परेशान हो कर फांसी लगा ली.इस पूरे मामले पर एटा के एसएसपी उदय शंकर सिंह ने बताया कि पति पत्नी के मध्य विवाद चल रहा था| इनके मध्य कोर्ट में केस भी चल रहे है| इनकी मौत के बाद पत्नी अपनी ससुराल में आयी थी. तदोपरांत दो दिन बाद संदिग्ध परिस्थितियों में आज उनकी मृत्यु की सूचना आयी है| पुलिस के द्वारा आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की जा रही है| इस प्रकरण में छानबीन कर उपरांत तथ्यों के आधार पर अग्रिम वैधानिक कार्यवाही की जाएगी|

 

मृतक आरती के भाई ने कहा- पति करता था उसको परेशान

मृतक आरती के भाई दुष्यंत कुमार ने बताया कि लड़का लड़की को परेशान करता था कहता था कि तलाक लूंगा. कहता था कि तेरी शक्ल मुझे पसंद नहीं है तुझसे तलाक लूंगा| 20 लाख रुपये दहेज देकर हमने शादी की थी. डेढ़ साल पहले हम अपनी बहन को घर ले आये थे तब से वो हमारे साथ ही रह  रही थीपोस्मार्टम हाउस पर आए कोतवाली देहात क्षेत्र के गांव भडेरा निवासी आरती के भाई पुष्पेंद्र ने बताया कि बहन की शादी जनवरी 2019 में हुई थी। करीब डेढ़ साल से वह मायके में रह रही थी। बताया कि ससुराल वालों से अनबन चल रही थी। सुलह-समझौते भी हुए, लेकिन उन्होंने साथ नहीं रखा। पति अरविंद ने भी संबंध खत्म कर लिए थे। हम लोगों की फोन कॉल नहीं उठाते थे।विगत आठ अगस्त को आरती के पास सेना से फोन आया कि अरविंद की मृत्यु हो गई है। इसके बाद से आरती सदमे में पहुंच गई। न कुछ खाया-पिया और न किसी से बात ही की। 10 अगस्त को जब अरविंद का शव आया तो अंतिम दर्शन के लिए आरती को लेकर गए थे, लेकिन ससुरालीजनों ने नहीं देखने दिया। इसके बाद से वह और परेशान हो गई। भूखी-प्यासी रहने के कारण 11 अगस्त को उसकी तबियत बिगड़ी तो शहर के एक निजी अस्पताल में लाए। इलाज के बाद यहां से रात करीब 11.30 बजे घर ले गए। घर के बरामदे में अन्य महिलाओं के साथ उसे सुला लिया। तड़के करीब 3 बजे जब वहां सो रही महिलाओं की आंख खुली तो आरती नहीं थी। घर में देखा तो एक कमरे में वह पंखे से साड़ी के फंदे से लटकी हुई थी। उतारा लेकिन जान नहीं थी। पुष्पेंद्र ने बताया कि मुख्य विवाद अरविंद की सर्विस बुक में नॉमिनी के नाम को लेकर था। हम लोग चाहते थे कि आरती का नाम लिखा जाए लेकिन ससुराल वाले नहीं चाहते थे। सात अगस्त को बिजौरी में इस बात को लेकर समझौता हुआ और ससुराल वाले सहमत हो गए। आठ अगस्त को आरती को ससुराल छोड़ने आते, लेकिन इससे पहले ही अरविंद की मौत की खबर आ गई।

 

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