मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर किया तीखा हमला, कहा जिन्होंने संविधान कुचला, वही दुहाई दे रहे…
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय है, और 21 मार्च 1977 वह दिन है जब देश ने तानाशाही के विरुद्ध जीत दर्ज की थी। उन्होंने कहा कि यह केवल एक राजनीतिक बदलाव नहीं था, बल्कि भारत के नागरिकों की आस्था, साहस और संघर्ष की विजय थी।
साय ने कहा कि मेरे बड़े पिताजी नरहरि साय को भी 19 महीने जेल में रखा गया था। वे लाखों लोकतंत्र सेनानियों में से एक थे जिन्होंने तानाशाही के विरुद्ध खड़े होकर भारत की आत्मा की रक्षा की। कई सेनानियों को तो बेड़ियों में जकड़ा गया, और उनके परिवारों को भी अमानवीय यातनाएं झेलनी पड़ीं। उस समय की राजसत्ता की क्रूरता को याद करते हुए कहा कि अखबारों पर ताले लगे थे, कलाकारों की आवाज़ बंद कर दी गई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज वही लोग संविधान की किताब हाथ में लेकर संविधान की दुहाई देते हैं, जिन्होंने कभी उसे रौंदने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
जिन्होंने संविधान कुचला था, आजकल वही उसकी दुहाई देते हैं। साय ने लोकतंत्र सेनानियों को नमन करते हुए कहा कि 21 मार्च 1977 को इमरजेंसी का धब्बा हट गया, लेकिन इसे लगाने वाली मानसिकता अब भी जीवित है। उन्होंने कहा कि सौभाग्य से देश की जनता अब जागरूक है और ऐसे तानाशाही इरादों को पहचानना और हराना जानती है।