‘दिल बेचारा’ से फिर दिल जीत गए सुशांत, पढ़ा दिया जिंदगी का असल पाठ
दीपक पाण्डेय- रायपुर | किसी के चले जाने के बाद आपके चाहने वालो को कैसा लगता है? क्या महसूस होता है? कुछ ऐसे ही विषय मे है ये फ़िल्म। सुशांत सिंह राजपूत की ये फ़िल्म “Dil Bechara” एक तीखे-मीठे चटनी की तरह है जो आपके चेहरे पर शुरू से ले कर आखरी तक एक मुस्कान बनाये रखती है और ख़तम होते-होते आँखे नम कर देती है। फ़िल्म देखते समय आप ये भूल जायँगे कि आप सुशांत सिंह कि फ़िल्म देख रहे है, आपको ऐसा लगेगा कि आप सुशांत कि असल जिंदगी जी रहे है। ये एहसास और मजबूर हो जाता क्योंकि आज सुशांत हमारे बीच नहीं है।
फ़िल्म की बात करें तो सुशांत सिंह राजपूत मैनी नाम के एक ऐसे लड़के का किरदार निभा रहे है जो खुद तो कैंसर पेशेंट है, मगर वो (संजना सैंगी) किजी नाम कि एक लड़की को हिम्मत देता है जो एक कैंसर पेशेंट है। मैनी को पता है कि उसके पास ज्यादा जिंदगी नहीं है पर वो सब कुछ कर लेना चाहता है। वहा एक बिंदास लड़का है और रजनीकांत का बहुत बड़ा दीवाना है, वही किजी एक साधारण लड़की है, जो मीनिंगफुल गाने सुनती है।
बाकि कास्ट कि बात करें तो स्वस्तिक मुखर्जी है जो कि सुशांत कि हीरोइन का रोल भी प्ले कर चुकी है और इस फ़िल्म में वह संजना कि माँ का रोल भी कर रही है। परफॉर्मेंस कि बात करें तो सबकी परफॉर्मेंस उमड़ा है। म्यूजिक कि बात करें तो ए. आर रहमान की स्वर में एक अलग ही जान डाल देती है। कुल मिला कर बोले तो फ़िल्म नि:स्वार्थ प्रेम की एक उम्दा परिभाषा है, जिसके कारण इसको IMDB पर 10 में से 10 स्तर मिले हैं।