शासन के इस फैसले से छोटे मकान बनाने वालों को मिलेगी राहत, जल्दी पास होंगी अर्जियां
शहर की बड़ी कालोनियों के ले आउट पास करने का जिम्मा एक बार फिर टाउन व कंट्री प्लानिंग विभाग को सौंप दिया गया है। राज्य शासन ने अपने पूर्व के आदेश को पलटते हुए नगर निगम को बड़ी कालोनियों के ले आउट पास करने की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया है। अब छोटे-छोटे प्लाट्स और दो-तीन मकानों के व्यक्तिगत प्रोजेक्ट का ले आउट नगर निगम ही पास करेगा।
सरकार के इस फैसले से काम का बंटवारा हो जाएगा और न तो छोटे मकानों के ले-आउट पास होने में देर होगी और न ही बड़ी कालोनियों के। अलबत्ता टाउन प्लानिंग विभाग से ले आउट पास कराने के बाद बिल्डरों और कालोनाइजरों को नगर निगम से केवल एनओसी लेनी होगी।
काम में सुविधा और व्यवस्था में बदलाव के लिहाज से राज्य शासन ने ले आउट पास करने की जिम्मेदारी टाउन व कंट्री प्लानिंग से लेकर नगर निगम को देने का फैसला किया था। निगम सीमा के बाहर निवेश क्षेत्र में टाउन प्लानिंग को ले आउट पास करना था और निगम सीमा के भीतर यह काम नगर निगम को सौंपा गया था। इस आदेश के जारी होने के बाद कालोनियों के प्रपोजल नगर निगम के दफ्तर में जमा होने शुरू हो गए। इस बीच बिल्डरों और अधिकारियों ने इस व्यवस्था में तकनीकी दिक्कत देखी।
इसके बाद शासन को व्यवस्था को पूर्व की तरह बहाल करने की मांग की गई। शासन स्तर पर इसका परीक्षण किया गया। उसके बाद आदेश को स्थगित करते हुए ले आउट पास करने की जिम्मेदारी वापस टाउन प्लानिंग को सौंप दी। इस दौरान करीब दर्जनभर प्रोजेक्ट निगम के पास पहुंच जमा हो चुके हैं।
निगम के टाउन प्लानिंग विभाग के अफसरों ने इसे पास करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। स्थगन आदेश आने के बाद नगर निगम ऐसे प्रोजेक्ट के प्रपोजल टाउन प्लानिंग विभाग को भेजने की तैयारी कर रहा है। इस बात की जानकारी नहीं होने के कारण अभी भी बड़ी संख्या में लोग निगम दफ्तर पहुंच रहे हैं। निगम अफसरों का कहना है कि अब वे सिर्फ व्यक्तिगत प्रोजेक्ट की मार्ग संरचना इत्यादि ही स्वीकृत कर सकेंगे।
इन दिक्कतों के कारण बदला फैसला
निगम सीमा के भीतर ले पास करने की जिम्मेदारी नगर निगम को देने से कई तरह की दिक्कत महसूस की जा रही थी। जानकारों का कहना है कि इससे निगम पर प्रेशर बढ़ गया था। स्टाफ की कमी हो रही थी। अतिरिक्त स्टाफ रखने के साथ ही पूरा सिस्टम आनलाइन करना। इसके लिए निगम को साफ्टवेयर भी टाउन प्लानिंग विभाग से ही लेनी थी।
निगम सीमा के बाहर के मामले टाउन प्लानिंग को देखना ही था। इससे काम अनावश्यक रूप से दो विभागो में बंटता। इसके अलावा निगम सीमा के भीतर बड़ी-बड़ी कालोनियों के लिए ज्यादा जमीनें नहीं हैं। बड़े-बड़े कालोनाइजर निगम सीमा के बाहर ही अपना प्रोजेक्ट ला रहे हैं। ऐसे में निगम के पास गिने-चुने मामले ही पहुंचते, लेकिन व्यवस्था अनावश्यक रूप से बढ़ानी पड़ती। बताया जा रहा है कि नई व्यवस्था से निगम के पास सिर्फ वर्कलोड बढ़ता। फीस इत्यादि टाउन प्लानिंग में ही जमा होती। इससे भी अव्यवस्था बढ़ने की आशंका थी।
निजी मकान बनाने वालों को मिलेगा ये फायदा
कालोनियों के प्रोजेक्ट टाउन एंड कंट्री प्लानिंग को वापस मिलने से नगर निगम में व्यक्तिगत प्रोजेक्ट और ले आउट वालों को फायदा होगा। इससे निगम का वर्कलोड सीमित रहेगा और ऐसे मामलों का जल्द निपटारा होगा। लोगों को अपना काम कराने के लिए बार-बार निगम दफ्तर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। निगम अफसरों के अनुसार हर महीने 15 से 20 व्यक्तिगत प्रोजेक्ट के प्रपोजल निगम के पास पहुंचते हैं।
कालोनियों के प्रपोजल अब टाउन प्लानिंग में ही जमा होंगे। निगम में पहुंचे प्रपोजलों को टी एंड सी भेजा जा रहा है। नगर निगम अब सिर्फ व्यक्तिगत प्रोजेक्ट के ही लेआउट पास करेगा।
बीआर अग्रवाल, नगर निवेशक, टाउन व कंट्री प्लानिंग-निगम