पुलिस की नाक के नीचे राजधानी में सट्टा: Newsbindass sting
रायपुर। पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने रायपुर की जैसे ही कमान संभाली तो लोगों को यह लगा कि अब अपराध की छुट्टी करने के लिए कोई दबंग पुलिस अधिकारी आ गया है। यह सत्य भी था कि लगातार नशे के कारोबारी व सटोरियों पर छापा मार कार्यवाही हुई लेकिन कप्तान साहब की नाक के नीचे ही नगर पुलिस अधीक्षक और थाना प्रभारी बड़ा खेल, खेल रहे हैं। जिसकी भनक तक कप्तान साहब को नही हैं।
पुलिस की नाक के नीचे राजधानी में सट्टा फल -फूल रहा हैं। ख़ास तौर से पुरानी बस्ती में थाना के पीछे ही सट्टा के बड़े खाईवाल रहते हैं और सब्जी बाजार की आड़ में संचालित करते हैं। स्थानीयों का कहना है कि संरक्षण थाना से मिल रहा है जिससे पुलिस की खौफ़ तक सटोरियो का नही है। हमारे संवाददाता ने जब इस बात की विश्वसनीयता को और परखने के लिए बताए मौके पर जाकर बारीकी से पड़ताल किया तो चौकाने वाला मामला सामने आया हैं। सट्टा संचालन के साथ गांजा तक बेचा जा रहा हैं।
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1. स्थानीय लोग परेशान
पुरानी बस्ती थाना अन्तर्गत ब्रम्हपुरी में सट्टा के साथ गांजा तक कि बिक्री धड़ल्ले से चल रही हैं। सूत्र बताते हैं कि यह कारोबार लंबे समय से चलते आ रहा है वहीं पुलिस की संरक्षण के बिना यह कारोबार संभव नही हो पाता हैं। स्थानीय लोग सट्टा लगाने के लिए बाहर से आते हैं और वँहा विवाद की स्थिति होने पर गाली गलौच, मारपीट व चाकूबाजी तक होता हैं। जिसकी वजह से लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं।
2. देव का आतंक, पुलिस नतमस्तक
राजधानी के पुरानी बस्ती थाना के पीछे सट्टेबाजों ने अपना अड्डा बना लिया हैं। देव कुमार ने अपने गुर्गों को बाजार की आड़ में सट्टा चलने के निर्देश दे दिए हैं। पुरानी बस्ती थाना के आस-पास का इलाका काफी आबादी वाला है, जिस वजह से पुलिस को ये पता नहीं लग पाता कि सट्टेबाज कहा अपना अड्डा जमाकर बैठे हैं। रोजाना पुलिस छोटे-मोटे सटोरियों को पकड़ कर अपनी पीठ थप-थपा लेती हैं। मगर पुलिस सट्टेबाजी के बड़े खाईवालों को गिरफ्तार नहीं कर पा रही है। देव का काला कारोबार शहर के कई इलाकों में फैला हुआ हैं, देव पुरानी बस्ती थाना के पीछे गलियों में अपना पर्ची का काम करवाता हैं।
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3.कुशालपुर के घर मे चलता है सट्टा का कारोबार
कुशालपुर तिरंगा चौक के पास
कुशालपुर में नेशनल हाइवे के किनारे घर में बैठ कर सट्टा का पर्ची काटा जाता है। पुलिस को इन सब कारोबारियों का ठिकाना पता होता हैं लेकिन न ही कार्यवाही होती हैं और न ही इन पर किसी तरह का पुलिस को लेकर भय रहता हैं। चार से पांच लोग बकायदा पर्ची काटते नजर आ जायेंगे…
4. आखिर पुलिस बेबस क्यों?
राजधानी में जिस तरह से अपराध बढ़ते जा रहा हैं उसके पीछे आख़िर कप्तान साहब की नजर ऐसे अपराध व अपराधियों पर क्यों नही जा रही हैं। या फिर थाना प्रभारी ही कप्तान साहब को इसकी भनक तक नही लगने देते हैं। जिसका खामियाजा किसी को जान देकर चुकाना पड़ता हैं।
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5.पुलिस सूत्र का कहना..?
पुलिस सूत्र बताते है कि सेक्स रैकेट, नशीले पदार्थ, सट्टा जैसे कारोबार में पुलिस ही सहभागिता रहती हैं। जंहा थाना में बकायदा आरक्षक के बीच इसका बंटवारा भी होता हैं। जिसको जो जिम्मेदारी प्रभारी साहब देते है उसका निर्वहन करना होता हैं। खास तौर से बीएसयूपी मकान में सेक्स रैकेट चलाना, सट्टा के लिए परमिशन व हप्ता लेना, नशे की सामग्री को कहा कौन बेचेगा व हप्ता कहा देना व कितना देना होगा इन सब पर पुलिस सबसे ज्यादा ध्यान देती हैं। इसी का कारण है कि अपराधियों के हौसले बुलंद है और शहर में अपराध कर धड़ल्ले से अपना खौफ़ जमाए रखे है।