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तीसरी लहर से पहले आयुर्वेद कालेज में खुला:कोरोना में बच्चों के लिए शुरू हुआ अस्पताल अब खुला रहेगा, 100 बेड बढ़ाने का प्रस्ताव

राजधानी रायपुर के आयुर्वेदिक कॉलेज में स्थित प्रदेश के पहले सरकारी बच्चों के मॉडल अस्पताल की शिफ्टिंग अब जिला अस्पताल पंडरी में नहीं होगी। इतना ही नहीं, इसी परिसर में अब बच्चों के इस अस्पताल में 100 बिस्तर बढ़ाने का प्रस्ताव भी शासन को भेजा जा चुका है। माना जा रहा है कि शासन की मंजूरी के बाद अगले साल बजट में इस अस्पताल में नई सुविधाओं के सौ बिस्तर बढ़ाने की घोषणा हो सकती है।

दरअसल, कोरोना काल के दौरान पिछले साल जुलाई में रायपुर में बच्चों के इस पहले मॉडल अस्पताल की शुरुआत की गई थी। उसके बाद से अब तक यहां साढ़े 5 हजार से अधिक बच्चों का ओपीडी में इलाज हो चुका है। वहीं इस दौरान 500 से अधिक बच्चों को भर्ती कर इलाज भी किया गया है। वहीं करीब 300 से अधिक नवजात बच्चों का डिलेवरी के बाद होने वाली बीमारियों का इलाज भी यहां किया गया है। कोरोना की दूसरी लहर के बाद ऐसी आशंकाएं जताई जा रही थी कि तीसरी लहर में बच्चों पर कोविड का असर बहुत ज्यादा हो सकता है, लिहाजा इस अस्पताल को कोरोना की तैयारी के मद्देनजर शुरु किया गया था।

बाद में बच्चों के नॉन कोविड इलाज के लिए इसे मॉडल के तौर पर विकसित किया गया है। आम तौर पर जहां व्यस्क या बुजुर्गों का इलाज होता है। वहां इलाज के लिए जाने पर अक्सर बच्चे डर महसूस करते हैं। बच्चे इस अस्पताल में आकर मनोवैज्ञानिक रूप से हल्का फुल्का महसूस कर सकें। इसलिए भी पहली बार प्रदेश में इस तरह के मॉडल अस्पताल की पहल की गई थी।

कोरियोएथोटाइट जैसी गंभीर बीमारियों, मोबाइल की लत आदि का भी इलाज
बच्चों से जुड़ी सामान्य बीमारियों के साथ इस मॉडल अस्पताल में दिमाग में आक्सीजन की कमी से जुड़ी गंभीर एवं जटिल कोरियोएथोटाइट जैसी बीमारी का इलाज भी किया जा रहा है। साथ ही पोषण की कमी से होने वाले बच्चों के विकास में आने वाली रुकावट, मोबाइल की लत, लिखने पढ़ने में आने वाली दिक्कत जैसे रोग भी यहां देखे जा रहे हैं।

बच्चों को हर दिन 24 घंटे इलाज मिल सके, इसके लिए अस्पताल को शुरुआत से ही चौबीस घंटे सातो दिन की तर्ज पर चलाया जा रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक बिस्तरों की संख्या सौ से अधिक बढ़ाने के बाद यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ नर्सिंग स्टाफ की नियुक्तियां भी की जाएगी। इस लिहाज से देखें तो यहां चिकित्सा शिक्षा से जुड़े युवाओं को भी नए रोजगार मिलेंगे।

बच्चों के खेलकूद के लिए साजो सामान यहां अस्पताल जैसा लगता ही नहीं
बच्चों को अस्पताल में बीमार जैसा महसूस न हो, इसके लिए यहां पर खेल कूद और मनोरंजन के साजो सामान भी रखे गए हैं। बच्चे यहां इलाज के दौरान पढ़ाई भी कर सकें, इसके लिए प्लेयिंग जोन के बाद अब रीडिंग जोन भी बनाया जा रहा है। परिसर में पार्क को व्यवस्थित करने का प्रस्ताव भी दिया जा रहा है। ताकि बच्चे इनडोर और आउटडोर में भी तरोताजा महूसस कर सकेंगे।

मॉडल अस्पताल में बच्चों के रूटीन वैक्सीनेशन, पैथालॉजी और रेडियोलॉजी की जांच के लिए नए उपकरण भी लगाने की प्लानिंग है। ताकि एक बार अस्पताल में आने के बाद किसी भी जरूरत के लिए उन्हें कहीं भटकना न पड़े। बच्चों के इमरजेंसी इलाज के लिए भी यहां नई सुविधाएं भी यहां बढ़ाई जाएगी। सामान्य जटिल बीमारियों के साथ कोविड, डेंगू, स्वाइन फ्लू, मलेरिया जैसे रोगों का इलाज भी हो रहा है।

प्रदेश में बच्चों के इलाज से जुडी़ सुविधाओं के विस्तार पर फोकस है। मॉडल अस्पताल का ट्रायल अभी तक काफी सफल रहा है। यहां एडवांस सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री, छत्तीसगढ़

बच्चों के मॉडल अस्पताल की अब शिफ्टिंग नहीं होगी। यहां 100 बिस्तर बढ़ाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। नवजात बच्चों के लिहाज से यहां गर्भवती महिलाओं के इलाज की भी व्यवस्था रहेगी।
– डॉ. मिथिलेश चौधरी, सीएमएचओ, रायपुर

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