प्रदेश के दर्जनभर जिलों में ऑनलाइन ठगी करने वाले एक गिरोह का पुलिस ने किया पर्दाफाश
अमित दुबे – रायपुर | छत्तीसगढ़ के अंबागढ़ चौकी के एक रिटायर्ड एएसआई भगवान सिंह सलामे से 15 जुलाई को पेंशन अधिकारी बनकर ऑनलाइन ठगी करते हुए ठगों ने 18 लाख 33 हजार रुपए खाते से उड़ा लिए। भगवान ने मामले की शिकायत अंबागढ चौकी थाने में कि तो पता लगा कि छत्तीसगढ के दर्जनभर जिलों में सेवा निवृत्त पुलिस कर्मियों के साथ एक करोड़ से अधिक रूपयों की ठगी की जा चुकी है। जिसके बाद पुलिस ने महासमुंद और दंतेवाड़ा पुलिस के साथ टीम बनाकर झारखंड से पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। प्रदेश के दर्जनभर जिलों में ऑनलाइन ठगी करने वाले एक गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है। पेंशन अधिकारी बनकर करोड़ों की ठगी कर चुके इस गिरोह के 5 लोगों को पुलिस ने पौने 4 लाख रुपए की रकम के साथ गिरफ्तार किया है। बिहार के इस गिरोह ने छत्तीसगढ़ के करीब दर्जनभर जिलों में खासतौर पर सेवानिवृत्त कर्मियों को चिन्हित कर लाखों रुपए ठगा है। हाल ही में जिले के अंबागढ़ चौकी के एक रिटायर्ड एएसआई भगवान से ऑनलाइन ठगी करने के बाद पुलिस सक्रिय हुई।
पेंशन अधिकारी बनकर लेते थे जानकारी
गिरोह के लोग छत्तीसगढ पुलिस की वेबसाइट से सेवा निवृत्त होने वाले पुलिसकर्मियों की जानकारी निकालकर फोन लगाते थे। जिसके बाद अकाउंट संबंधित जानकारी लेकर बैंक खाते को थर्ड पार्टी से जोड़ देते थे। मोबाइल नंबर लिंक करने की बात कहकर ओटीपी पूछकर 20 मिनट के भीतर खाते की सारी रकम अन्य खातों में भेज कर ठगी करते थे। इस बार भी ठग एएसआई के खाते से 18 लाख उड़ाने में कामयाब रहे, लेकिन पुलिस ने मामले में गंभीरता दिखाते हुए मोबाइल नंबर और अकाउंट ट्रैस कर राजनांदगांव, महासमुंद और दंतेवाड़ा की पुलिस ने संयुक्त रूप से झारखंड में विशेष अभियान के तहत आरोपियों को ढूंढ निकाला। रविवार को एसपी जितेन्द्र शुक्ला ने प्रेसवार्ता में बताया कि हाईप्रोफाईल तरीके से यह गिरोह मोबाइल में फोन कर पेंशन अधिकारी बताते हुए रिटायर्ड कर्मियों से उसके एटीएम का पिन नंबर पूछकर खाते से रकम साफ करता था।
मास्टर माइंड अभी भी फरार-
पुलिस ने बाबूर अली, मनोज राय, रोहित यादव, पिंटू कुमार और जितेन्द्र चौधरी, सभी बिहार निवासी को गिरफ्तार किया है। जबकि मामले का मास्टर माइंड पुलिस आने की सूचना पाकर फरार हो चुका था। झारखंड-बिहार के बार्डर के जंगलों में डेरा लगाकर ठगी को अंजाम देते थे। सभी आरोपी रकम मिलने के बाद अलग-अलग दिशाओं में चले जाते थे। आरोपियों द्वारा रकम निकालने के लिए अलग-अलग जिलों में पहुंचते थे। एसपी जितेन्द्र शुक्ला ने बताया कि आरोपियों ने पश्चिम बंगाल के कई महिलाओं के नाम पर फर्जी सिम खरीदकर अब तक करोड़ों रुपए का रकम लोगों के एकाउंट से पार कर दिया है। बताया जा रहा है कि आरोपियों की धरपकड़ के लिए पुलिस को कड़ी मेहनत करनी पड़ी। राजनांदगांव-दंतेवाड़ा और महासमुंद की पुलिस टीम को आरोपियों तक पहुंचने के लिए दिन-रात एक करना पड़ा। मिली जानकारी के मुताबिक आरोपियों से अलग-अलग कंपनियों के दर्जनभर मोबाइल भी मिले हैं। पुलिस ने लोगों से एक बार फिर सतर्क रहने की अपील की है।
चार चरण में अलग-अलग खातों में हुआ रूपया ट्रांस्फर-
ठगी करने के बाद हर पांच मिनट में रूपयों को दूसरे खाते में ट्रांस्फर कर दिया जाता था। ताकि पुलिस को अकाउंट का सही लोकेशन नही मिल सके। इसके बाद गांव के लोगों के बैंक खातों में रूपया भेजने के बाद कैश निकाल लिया जाता है। पुलिस ने बताया कि इस काम के लिए ग्रामीणों को दस प्रतिशत दिया जाता है। ठग के लिए उपयोग किए गए सिम को भी महिलाओं के नाम से लिया जाता है। ठग जंगल के डेरे में मोबाइल रखते हैं। काम होने के बाद सिम बदल लिया जाता है। पुलिस को गिरोह के पास से 7 मोबाईल, 02 लैपटॉप, एक कलर प्रिंटर, 12 एटीएम कार्ड, दो नई सिम, 4 आधार कार्ड, 2 पैन कार्ड व तीन लाख 62 हजार रूपये मिले हैं।
साईबर क्राइम के सौ से ज्यादा केस-
जिले में अभी भी साईबर क्राइम के सौ से अधिक मामले पंजीबद्ध हैं। पिछले दिनों इमेल से डाटा हैक करने के बाद लाखों में रूपयों की मांग करने वाले मामले में भी पुलिस को कोई सुराग नही मिला है। फेसबुक आईडी हैक कर मैसेंजर से रूपया मांगने वालों की भी पहचान नही की जा सकी है। एसपी जितेन्द्र शुक्ल ने बताया कि यदि फेसबुक, इंस्टाग्राम आईडी को हैक से बचाना है तो मोबाइल नंबर हटा लें। मोबाइल नंबर होने से आईडी हैक होने की संभावना अधिक होती है।