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नशे में एक्सीडेंट करने वालों के ऊपर अब धारा 304 A नहीं बल्कि लगेगी 304

छत्तीसगढ़। अगर आप नशा करके वाहन चलाते है तो आप आपको अपनी आदत आज ही बदल लेनी चाहिए .क्योंकि अब यदि नशे की हालत में आपकी गाड़ी से हुई दुर्घटना (Accident) में किसी की मौत हो जाती है तो ऐसे आरोपियों पर धारा 304 ए नहीं बल्कि धारा 304 लगेगी. यानी आरोपी की सजा भी बढ़ गई औऱ उसे थाने से जमानत भी नहीं मिलेगी. ये फैसला तमाम थानों के पुलिस इंस्पेक्टरों को बिलासपुर एसपी रजनेश सिंह ने दिए हैं.

क्या है धारा 304 A:-

-भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304 A के अंतर्गत, गैर इरादतन हत्या अथवा लापरवाही भरे कृत्य से होने वाली मौत के अपराध के लिए दो साल का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजाओं का प्रावधान है।

फोटो:- IPC 304 A की विस्तृत जानकारी

क्या है धारा 304:-

-जबकि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304 के अन्तर्गत, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को केवल चोट पहुँचाने के लिए या बिना किसी इरादे के कि गई हत्या यानी गैर-इरादतन हत्या का दोषी पाया जाता है तो दोषी व्यक्ति को 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास (Life imprisonment) व जुर्माने (fine) से भी दंडित किया जा सकता है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 304 में आरोपी को जमानत मिलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है क्योंकि यह एक संज्ञेय श्रेणी का अपराध (Cognizable Crime) होता है। इस अपराध कि गंभीर प्रकृति होने के कारण ही इसे गैर-जमानती अपराध (Non Bailable offence) की श्रेणी में रखा गया है। इस अपराध में जमानत का फैसला (bail order) सत्र न्यायालय (court) के द्वारा विचारणीय होता है। यह अपराध किसी भी तरह से समझौते के योग्य नहीं होता।

धारा 304 का सड़क दुर्घटनाओं में बहुत कम उपयोग होता है. सड़क दुर्घटना में मौत होने ने पर पुलिस आरोपी के खिलाफ 304-ए के तहत ही प्रकरण दर्ज करती थी. फिर भले ही आरोपी ड्राइवर शराब के नशे में ही क्यों न हो. इस धारा में आरोपी को थाने से ही जमानत मिल जाती है, जबकि धारा 304 में कोर्ट से ड्राइवर को जमानत मिलती है और अपराध सिद्ध होने पर 10 साल तक की सजा हो सकती है.

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