अब गूगल हिंदी से गोंडी और गोंडी से हिंदी में भी करेगा अनुवाद, माइक्रोसॉफ्ट और रायपुर ट्रिपल आईटी ने बनाया ये ऐप
जगदलपुर। अब गूगल हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद की तरह ही हिंदी से गोंडी और गोंडी से हिंदी में भी अनुवाद करेगा। इसके लिए माइक्रोसॉफ्ट, सीजीनेट स्वरा और नया रायपुर स्थित ट्रिपल आईटी ने मिलकर गूगल के लिए साफ्टवेयर विकसित किया है। अगस्त महीने के अंत तक गूगल इस टूल को लांच कर देगा।
हिंदी-गोंडी अनुवाद के लिए इंटरेक्टिव न्यूरल मशीन ट्रांसलेशन (आइएनएमटी) का विकास तेलंगाना के अरका मानिकराव, छत्तीसगढ़ के रैनूराम मरकाम व ओडिशा के रविंद्रनाथ ने मिलकर किया है। माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च लैब, सीजीनेट स्वरा और नया रायपुर के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इनफारमेशन टेक्नॉलॉजी (ट्रिपल ई) के बीच 2019 में इसके लिए समझौता हुआ था। सीजीनेट स्वरा बस्तर में शांति के लिए प्रयासरत एक सामाजिक संस्था है जो सुदूर आदिवासी इलाकों में मोबाइल आधारित रेडियो स्टेशन का संचालन करती है।
संस्था के संयोजक शुभ्रांशु चौधरी का कहना है कि बस्तर में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच चल रही लड़ाई में सरकार आम जनता से इसलिए नहीं जुड़ पाती है क्योंकि सरकारी तंत्र गोंडी भाषा नहीं जानता। इस लड़ाई में सबसे ज्यादा जरूरी है जनता का विश्वास जीतना। गोंडी के माध्यम से ही जनता तक पहुंचा जा सकता है। इस उद्देश्य को लेकर सीजीनेट लगातार काम कर रहा है। छह राज्यों आंध्रप्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में करीब एक करोड़ बीस लाख लोग गोंडी भाषा में संवाद करते हैं।
सीजीनेट ने एक साल पहले सभी राज्यों के समाज प्रमुखों की बैठक कर गोंडी के तीन हजार से ज्यादा शब्दों का मानकीकरण किया। शुभ्रांशु का कहना है कि टूल के विकास का मुख्य काम कोरोना लॉकडाउन के दौरान ही हो पाया है। गोंडी भाषी राज्यों के करीब डेढ़ सौ लोगों ने पिछले चार महीनों में हिंदी की किताबों का गोंडी में अनुवाद कर 35 हजार से अधिक वाक्य तैयार किए हैं। गूगल के लिए टूल बनाने में ट्रिपल ई के छात्र अनुराग शुक्ला ने तकनीकी सहयोग दिया है।
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भाषा के विकास में सहायक
शुभ्रांशु का कहना है कि सरकार की नई शिक्षा नीति में स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई की योजना है। उनकी संस्था प्राथमिक स्तर की किताबों का गोंडी अनुवाद भी कर रही है। गोंडी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग भी लगातार उठ रही है। उम्मीद है कि मोबाइल में गोंडी होने से भाषा का विकास होगा।