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कोई नागरिक ऑक्सीजन की कमी से नही मरा : केंद्र सरकार

कोरोना के दूसरे लहर के दौरान पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी और ऑक्सीजन की कमी से तड़पते मरीज़ों की तस्वीरें मीडिया के हर माध्यम में मुहैया थी, कई मीडिया संस्थानों में ऑक्सीजन की कमी से मौत की खबरें भी रिपोर्ट की गईं। दिल्ली मध्यप्रदेश, तमिलनाडू, झारखंड जैसे देश के कई राज्यों में ऑक्सीजन को लेकर जो हकबकाहट थी वह अब तक भारतीयों के ज़ेहन से शायद ही उतरी होगी। लेकिन केंद्र सरकार ने राज्य सभा में जो जानकारी दी है उसके अनुसार “देश में किसी की भी मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है।

 

राज्यसभा के अतारांकित प्रश्न संख्या 243 जिसे के सी वेणुगोपाल ने प्रस्तुत किया था उस प्रश्न में तीन कॉलम में जानकारी/सवाल माँगे/पूछे गए थे। इनमें जो पहला सवाल था वह सवाल यूँ था

क्या यह सच है कि कोविड-19 की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की भारी कमी होने के कारण भारी संख्या में रोगियों की मृत्यु सड़कों और अस्पतालों में हुई?
इसका जवाब स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार की ओर से इन शब्दों में दिया गया है
“स्वास्थ्य राज्य का विषय है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सूचित की जाने वाली मौतों के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को जारी किए गए हैं, तदनुसार सभी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र मामले और मौतों की नियमित आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को रिपोर्ट करते हैं। तथापि राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा विशिष्ट रुप से ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई किसी मौत की सूचना नहीं दी गई है”
केंद्र सरकार के इस जवाब के उक्त अंश को फिर से पढ़ा जाना चाहिए
”राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा विशिष्ट रुप से ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई किसी मौत की सूचना नहीं दी गई है”
इस जवाब की शुरुआत इस पंक्ति से होती है
”स्वास्थ्य राज्य का विषय है”
इस जवाब के साथ केंद्र सरकार ने पूरा पल्ला राज्यों पर झाड़ दिया है। अब कितने राज्यों से यह सवाल किया जाए कि आपके राज्य की ही तस्वीरें (दृश्य और स्थिर ) दोनों देखी गई थी, मरीज़ को ऑक्सीजन से तड़पते और कई जगहों पर ऑक्सीजन की कमी के बाद शव में तब्दील होने पर नागरिकों को बिलखते जार जार रोते देखा गया था, वे मौतें आखिर किस कॉलम में किस नाम से दर्ज हुईं।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव राज्य में ऑक्सीजन की कमी की वजह से मौत को ख़ारिज करते हैं और कुछ यूँ कहते है

 

 

“छत्तीसगढ़ में कहीं से ऑक्सीजन की कमी से मौत रिकॉर्ड में नहीं है, और ऑक्सीजन सरप्लस था, व्यवस्था सिलेंडर पहुँचाने की थोड़ी मेहनत के साथ हो गई.. पर मौत नहीं हुई”
स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने कहा
“यदि मौते होती तो छुपाए नहीं छूपती.. हाँ यह जरुर है कि देश के कई हिस्सों में ऑक्सीजन की कमी से मौत की खबरें आईं थीं”
केंद्र सरकार में स्वास्थ्य को राज्य का विषय बताया है, और इसी केंद्र ने थाली लोटा शंख बजाने के विचित्र नुस्ख़े की ईजाद की जिसकी भद्द पीटने के बाद इसे मनोवैज्ञानिक तरीका माना जाए यह दलील दी जाती है।
आलोचना और आरोप प्रत्यारोप में अलग अलग राज्यों में अलग अलग दल के सत्तानशी क्षत्रप पीछे नहीं होते तो नागरिकों के मौत का आँकड़ा आख़िर क्यों छुपाया गया ? यह आँकड़ा छुपाने की नीति से कौन सी भलाई हो गई ? या कोई आंकड़े छुपाए नहीं गए, मौतें दर्ज हुई और वाक़ई ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई।
यदि ऐसा था तो सड़क पर बिलखते रोते लोग कौन थे ? वे कौन थे जिनकी तड़पते हुए जान चली गई ? वे कौन थे जो चीख चीख कर बोलते रहे कि ऑक्सीजन नहीं मिला.. मिल जाता तो मौत नहीं होती।

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