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पंचतत्व में विलीन हुए पत्रकार रमेश नैयर: मारवाड़ी श्मशान घाट पर बेटे ने दी मुखाग्नि

प्रदेश के प्रख्यात पत्रकार रमेश नैयर शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन हो गये। उनकी अंतिम यात्रा में समाज के सभी वर्गों के लोग शामिल हुए। रायपुर के मारवाड़ी श्मशान घाट पर उनके ज्येष्ठ पुत्र संजय नैयर ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान पूरा माहौल रमेश नैयर अमर रहें के नारे से गूंज उठा। रमेश नैयर का बुधवार दोपहर में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था।

शुक्रवार सुबह रमेश नैयर की अंतिम यात्रा उनके समता कॉलोनी स्थित निवास से मारवाड़ी श्मशान घाट के लिए रवाना हुई। वहां बड़ी संख्या में पत्रकार, पूर्व अफसर, राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि, कारोबारी और समाज के विभिन्न तबकों के लोग शामिल हुए। वहां हुई एक शोक सभा में लोगाें ने रायपुर के महापौर एजाज ढेबर से रमेश नैयर के नाम पर एक शोध पीठ स्थापित करने की मांग की। लोगों ने रमेश नैयर के व्यक्तित्व और पत्रकारिता से जुड़े उनके कामकाज को याद किया। दैनिक भास्कर के संपादक शिव दुबे ने कहा, उनकी शैली इतनी विनोदी थी कि रिव्यू भी इस ढंग से करते कि जो कहना है वह कह दिया जाए और सामने वाले के मन को चोट भी न पहुंचे। वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार ने कहा, अलग-अलग अखबारों में काम करने के बावजूद वे लोग रोज काम के बाद मिला करते थे। गोपाल वोरा, सुभाष मिश्रा, कौशल शर्मा, सुनील त्रिवेदी, समीर दीवान आदि ने भी अपनी बात कही।

पाकिस्तानी हिस्से वाले पंजाब में जन्मे थे नैयर

छत्तीसगढ़ में दैनिक भास्कर के संपादक रह चुके रमेश नैयर का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब स्थित कुंजा में 1940 में हुआ था। यह शहर अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पड़ता है। विभाजन के बाद उनका परिवार रायपुर में बस गया था। रमेश नैयर ने यहीं से पत्रकारिता की शुरुआत की। कई प्रतिष्ठित अंग्रेजी और हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में काम करते रहे। उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया।

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