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जहाज उड़ाने का सपना देखने वाले सचिन पायलेट की कैसे हुई राजनीती मे एंट्री

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनकी नाराज़गी इस क़दर भारी पड़ेगी, इसका कुछ तो अंदाज़ा उन्हें ज़रूर रहा होगा. लेकिन वो अपने फ़ैसले पर अड़े रहे.पूर्व उप-मुख्यमंत्री होते ही उन्होंने एक लाइन के ट्वीट में अपनी बात जनता के सामने रखी – “सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं”. इसके साथ ही उन्होंने ट्विटर के अपने बायो से कांग्रेस शब्द भी हटा लिया है.

2003 में कांग्रेस का दामन थामने के साथ ही, अगले ही साल सचिन सांसद बन गए. उस वक़्त उनकी उम्र केवल 26 साल थी. छोटी उम्र में उन्होंने कई मुकाम हासिल किए, जिसके लिए कुछ नेताओं को सालों तक इंतज़ार करना पड़ता है.


सचिन 32 साल की उम्र में केंद्रीय मंत्री बन गए और 36 साल की उम्र में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष. इस बार के विधानसभा चुनाव में सफलता के बाद उन्हें प्रदेश में उप-मुख्यमंत्री का पद दिया गया.

मात्र 23 साल की उम्र में अपने पिता को खोने वाले सचिन पायलट कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरी करना चाहते थे.

उनकी इच्छा भारतीय वायुसेना में पायलट की नौकरी करने की भी थी.

लेकिन 11 जून, 2000 को एक सड़क हादसे में पिता राजेश पायलट की मौत ने युवा सचिन पायलट के जीवन की दिशा बदल दी.

गाड़ी चलाकर गांव-गांव घूमने वाले नेता
पायलट के लिए राजनीति का क्षेत्र कोई अजनबी जगह नहीं है. भारतीय राजनीति में उनके पिता राजेश पायलट का बड़ा नाम था. उनकी मां रमा पायलट भी विधायक और सांसद रही हैं.

साल 1977 में यूपी के सहारनपुर में जन्मे पायलट ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा नई दिल्ली में एयर फ़ोर्स बाल भारती स्कूल में हुई और फिर उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफ़ेंस कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद पायलट ने अमरीका में एक विश्वविद्यालय से प्रबंधन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की.

कांग्रेस पार्टी में शामिल होने से पहले सचिन पायलट बीबीसी के दिल्ली स्थित कार्यालय में बतौर इंटर्न और अमरीकी कंपनी जनरल मोटर्स में काम कर चुके हैं.

लेकिन बचपन से वो भारतीय वायुसेना के विमानों को उड़ाने का ख़्वाब देखते आए थे.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “जब मुझे पता चला कि मेरी आंखों की रोशनी कमज़ोर है तो मेरा दिल टूट गया क्योंकि मैं बड़ा होकर अपने पिता की तरह एयरफ़ोर्स पायलट बनना चाहता था. स्कूल में बच्चे मुझे मेरे पायलट सरनेम को लेकर चिढ़ाया करते थे. तो मैंने अपनी माँ को बताए बिना हवाई जहाज़ उड़ाने का लाइसेंस ले लिया.”

लेकिन जब सचिन पायलट ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालना शुरू किया तो अपने पिता के अंदाज़ में ही ख़ुद गाड़ी चलाकर गाँव-गाँव घूमना शुरू किया था.

कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्हें “डाइनैस्टिक लीडर” होने यानी वंशवाद के कारण राजनीतिक लाभ मिलने जैसी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था.

अपने राजनीतिक सफ़र की शुरुआत में ही सचिन ने एनडीटीवी के एक कार्यक्रम में इस बारे में बात की थी.

सचिन पायलट ने कहा था, “राजनीति कोई सोने का कटोरा नहीं है जिसे कोई आगे बढ़ा देगा. इस क्षेत्र में आपको अपनी जगह ख़ुद बनानी होती है.”
16 साल का सफ़र
41 साल के सचिन बीते 16 सालों में राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते चले गए.

सचिन ने अपने राजनीतिक सफर के बारे में कहा था, “जब मेरे पिता ज़िंदा थे तो मैंने कभी उनके साथ बैठकर अपने राजनीतिक सफ़र को लेकर कोई बात नहीं की. लेकिन जब उनकी मौत हो गई तो ज़िंदगी एकदम बदल गई. इसके बाद मैंने सोच-समझकर राजनीति में आने का फ़ैसला किया. किसी ने भी राजनीति को मेरे ऊपर थोपा नहीं. मैंने अपनी पढ़ाई से जो कुछ भी सीखा था, मैं उसकी बदौलत सिस्टम में एक बदलाव लाना चाहता था.”

दलाई लामा से सीखी विनम्रता
दौसा और अजमेर से सांसद रहे पायलट हाल में हुए विधानसभा चुनावों में टोंक से कांग्रेस पार्टी की टिकट पर चुने गए हैं.

एक रैली के दौरान जब सचिन पायलट चुनावी सभा में देरी से पहुँचे तो उन्होंने उनको सुनने आए लोगों से माफ़ी भी मांग ली.

हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में सचिन पायलट ने कहा था, “मैं दलाई लामा का काफ़ी सम्मान करता हूँ. किसी भी व्यक्ति की असली ताक़त वो होती है जब कोई व्यक्ति आपके साथ 30 सेकेंड भी बिताता है तो आपके अंदर विनम्रता, धैर्य और चेहरे पर वो मुस्कान रहे जिससे लोग आपके साथ सहज हो जाएँ. वो बीते 50 सालों से इसी मुस्कान के साथ जी रहे हैं.”

सारा से शादी पर सचिन

सचिन पायलट ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्लाह की बेटी सारा से शादी की है.

इंडियन टेरिटोरियल आर्मी में अधिकारी रह चुके सचिन ने अपनी शादी पर सवाल उठाने वालों को एक इंटरव्यू में खुलकर जवाब दिया था.

सिमी गिरेवाल से बातचीत के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “धर्म एक बहुत ही व्यक्तिगत मसला है. जब आप ज़िंदगी के अहम फ़ैसले लेते हैं तो धर्म और जाति के आधार पर ही फ़ैसला नहीं लेना चाहिए.”


राहुल गांधी को लेकर राय

सचिन को राहुल गांधी के सबसे क़रीबियों में गिना जाता था. उन्हें अपनी बात साफ़गोई के साथ रखने वाला नेता माना जाता है.

ब्लूमबर्ग क्विंट को दिए इंटरव्यू में सचिन पायलट ने कहा था, “मैं मानता हूँ कि राहुल गांधी एक ऐसे व्यक्ति हैं जो समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं और उनके अंदर ताक़त की भूख नहीं है.”


राजस्थान में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने तब अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंप दी थी.

इसके बाद औपचारिक प्रेस वार्ता में सचिन पायलट ने ‘कौन बनेगा करोड़पति’ कार्यक्रम के आधार पर मज़ाक में कहा था, “इस कमरे में सभी लोग बैठे थे, किसे पता था आख़िर में दो लोग करोड़पति बन जाएंगे.”

गंभीर मुद्दों पर स्पष्टता के साथ बात करने वाले सचिन पायलट को इस दौरान खुलकर ठहाके लगाते हुए भी देखा जा सकता है.

उन्हें अपनी बात को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने की महारत हासिल है. इसमें तर्क भी होते हैं और शब्द भी.

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