आरक्षण संशोधन विधेयक पर आज हो जाएगा राज्यपाल का हस्ताक्षर, संकल्प को लेकर राष्ट्रपति और राज्यपाल से मिलेंगे सीएम
रायपुर विधानसभा के विशेष सत्र में राज्य सरकार ने आरक्षण संशोधन विधेयक पेश कर दिया है। विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद प्रदेश में लागू हो जाएगा। इससे राज्य में रुकी हुई सरकारी भर्ती भी शुरू हो जाएगी। राज्यपाल अनुसुईया उइके के पास पांच मंत्रियों के प्रतिनिधिमंडल ने विधेयक पास होने के बाद पहुंचाया, लेकिन दो दिन अवकाश होने के कारण विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं हो पाया। राज्यपाल उइके ने आश्वासन दिया है कि सोमवार को विधि विशेषज्ञ की राय के बाद हस्ताक्षर कर देंगी।
रमन सरकार ने भी आरक्षण को लेकर विधानसभा में संशोधन विधेयक पेश किया था, जिसके बाद प्रदेश में 58 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया था। अब भूपेश सरकार ने 76 प्रतिशत आरक्षण प्रविधान कर दिया है। रमन सरकार के विधेयक में अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षण को 16 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया था। इसके विरोध में एससी वर्ग के प्रतिनिधियों ने कोर्ट में याचिका लगाई, जिस पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण पर रोक लगा दी।
संविधान विशेषज्ञों की मानें तो रमन सरकार के आरक्षण प्रतिशत पर रोक लगाने के पीछे तीन कारण है। रमन सरकार ने कोर्ट में यह नहीं बताया कि किसी भी वर्ग के आरक्षण को तय करने का पैमाना क्या है। उस समय राज्य सरकार ने न तो जातिगत आधार पर गणना की कोई पहल की, न ही अन्य राज्यों में आरक्षण बढ़ाने के लिए किए गए उपायों पर ही ध्यान दिया। यही कारण था कि रमन सरकार का आरक्षण कोर्ट में टिक नहीं पाया। अब भूपेश सरकार ने रमन सरकार की गलतियों को दूर करते हुए आबादी को आरक्षण का आधार बनाया। संविधान विशेषज्ञों की मानें तो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग को आबादी के आधार पर आरक्षण दिया जा सकता है। भूपेश सरकार ने ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की गणना के लिए क्वांटिफाइबल डाटा आयोग का गठन किया। आयोग की रिपोर्ट के बाद सरकार ने आरक्षण का नया खाका तैयार किया।
सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले बनेंगे आधार
कानून के जानकारों की मानें तो राज्य सरकार के विधेयक को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। रमन सरकार और भूपेश सरकार के विधेयक में अलग सिर्फ यह है कि भूपेश सरकार ने जनसंख्या का आधार जानने के लिए क्वांटिफाइबल डाटा आयोग का गठन किया है। इसके अलावा सभी प्रक्रिया दोनों सरकारों ने समान पालन की है। वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र महापात्रा ने बताया कि आरक्षण विधेयक पर नोटिफिकेशन जारी होने के बाद अगर कोई कोर्ट में चुनौती देता है, तो सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले के आधार पर कोर्ट कोई भी निर्णय दे सकती है।
केंद्र सरकार से लगाएंगे गुहार
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी दलों से आग्रह किया है कि दलगत भावना से उपर उठकर छत्तीसगढ़ की सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलकर छत्तीसगढ़ में आरक्षण के नए प्रावधानों को 9वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रयास किया जाए। बताया जा रहा है कि राज्यपाल के हस्ताक्षर और अधिसूचना जारी होने के बाद मुख्यमंत्री समेत कांग्रेस के सभी विधायक केंद्र सरकार से गुहार लगाने के लिए दिल्ली जाएंगे।