पूर्व आवास मंत्री ने नवा रायपुर की जर्जर हालत को लेकर उठाए सवाल
पूर्व आवासीय मंत्री व प्रदेश भाजपा प्रवक्ता राजेश मूणत ने नवा रायपुर अटल नगर में नीलामी प्रक्रिया शुरू होने के बाद कांग्रेस सरकार को घेरा है
एनआरडीए के काम-काजों के ठप हो जाने और मौजूदा प्रॉपर्टी के बैंक द्वारा कुर्क किए जाने पर सवाल खड़े किए हैं
रायपुर । पूर्व मंत्री का कहना है, प्रदेश के लिए यह दुर्भाग्यजनक है कि अब बारी-बारी से हमारी विरासत नीलाम होने की ओर है। तीन साल में भूपेश सरकार की अर्जित उपलब्धियों में एक नया अध्याय शुरू हो चुका है। एनआरडीए भवन बैंक के हाथों में नीलामी की तरफ है। 52 हजार करोड़ रुपये कर्ज लेकर भी भूपेश सरकार नए शहर को बचाने कोई कदम नहीं उठा रही है। आखिर छत्तीसगढ़ की जनता के देखे गए नए शहर के सपनों को कुचला क्यों जा रहा है..? तीन साल में जितना कर्ज ले लिया, क्या यह काफी नहीं है जब नए रायपुर के अस्तित्व को बचा सके। नवा रायपुर में कांग्रेस सरकार ने विकास कार्यों पर टोटल तालाबंदी की पॉलिसी लागू की है। जो फंड स्मार्ट सिटी के लिए केंद्र ने दिए हैं उससे अब एक जगह सीबीडी स्टेशन बनाने ठेका स्वीकृत किया है। चार जगहों में स्टेशन बनने थे जहां कांग्रेस सरकार ने अटल नगर, उद्योग नगर और फेयर ग्राउंड का टेंडर 2018 में हुआ था। 151 करोड़ रुपये की लागत से स्टेशन का विस्तार होना था।
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ने बताया, भाजपा सरकार ने आमजनों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए विकास कार्यों को सर्वोपरि रखते नींव रखे लेकिन भूपेश सरकार यहां भी कौड़ी का काम नहीं कर सकी। 15 करोड़ रुपये तक के काम तीन साल में नहीं हुए। आज तंगी और रुपयों के अभाव में कांट्रेक्टरों को पीछे हटना पड़ा। एनआरडीए की हालत ऐसी रह गई कि उसने भी किसी भी तरह के निर्माण कार्य से हाथ खींच लिया। भूपेश सरकार केंद्र से मिले 42 करोड़ रुपये खर्च करने टेंडर पास कर रही है। जब बात 52 हजार करोड़ रुपये कर्ज लेने की है तो क्या नवा रायपुर के लिए खर्च का बजट तय नहीं होना चाहिए।
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मूणत का कहना है, भूपेश सरकार ने अटल नगर के लिए बनाई गई सेल्फ फाइनेंस मॉडल की पालिसी को रोक दिया है। जमीन के नि:शुल्क आवंटन की नई परंपरा लागू की है। फायदा भी मंत्री और उनके नजदीकियों को मिल रहा है। सेल्फ फाइनेंस से बिकने वाली प्रॉपर्टी से सीधे एनआरडीए को धरोहर राशि के रूप में आय प्राप्त होता था, मगर सरकार ने संस्थागत व व्यक्तिगत जमीन आवंटन करने की नीति बनाकर सिर्फ बंदरबांट किया है। राजेश मूणत ने कहा, आय अर्जित होने का बड़ा स्रोत ही खत्म कर दिया है। प्रॉपर्टी खरीदी के समय 10 प्रतिशत राशि और बाकी किस्तों में भुगतान के अवसर खत्म कर दिए। दुष्परिणाम यह है कि जो फायदा अटल नगर को होना था वह गर्त में चला गया है। छत्तीसगढ़ प्रदेश और यहां की जनता के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है।