क्या आप जानते है? Sunday को ही क्यों मिलती है छुट्टी?
रायपुर। बच्चे स्कूल जाते हों या कोई व्यक्ति नौकरी करता हो सभी को रविवार का इंतजार रहता है। रविवार का दिन होता है सबके लिए छुट्टी का दिन यानि की मस्ती का दिन। इस दिन लोग अपने काम और पढ़ाई से हटकर अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं या वो करते हैं जो उन्हें रिलेक्स करता है।
बता दें कि एक वैज्ञानिक शोध से खुलासा हुआ है कि सात दिन में एक दिन छुट्टी होनी ही चाहिए। इससे दिमाग और शरीर को शांत और रिलेक्स होने का मौका मिलता है। लगातार काम करने से दिमाग और शरीर दोंनो थक जाते हैं इसलिए एक दिन छुट्टी से दोनों को आराम मिलता है। लेकिन अहम सवाल ये है कि छुट्टी केवल रविवार के दिन ही क्यों होती है? इस बारे में बेहद कम लोग जानते हैं कि रविवार को ही क्यों छुट्टी मिलती है ये छुट्टी बाकि के किसी छ ददिन में क्यों नहीं मिलती?
दरअसल ऐसा इसाई धर्म के अनुसार होता है। दुनिया के कई बड़े देशों में ईसाई धर्म माना जाता है। भारत में भी कई सालों तक अंग्रेजों का राज रहा इस कारण यहां भी कई चीजें अंग्रेजों के द्वारा ही दी गई हैं। ईसाई धर्म में माना जाता है कि उनके ईश्वर ने धरती बनाने में 6 दिन लगाए थे इसके बाद उन्होंने सातवें दिन यानि की रविवार को आराम किया।
इसी मान्यता से अंग्रेजों ने रविवार को आराम का दिन मान लिया। ये सन 1843 में तय कर दिया गया था कि भारत में भी रविवार की छुट्टी की जाएगी। गर्वनर जेनरल ने स्कूल, कॉलेजों और दफ्तरों में संडे को छुट्टी घोषित की थी। उनका मानना था कि ऐसा करने से छात्र पढ़ाई पर और लोग अपने काम पर ज्यादा ध्यान लगा सकते हैं क्योंकि उन्हें एक दिन आराम और अपने बाकि काम के लिए मिल जाए।
एक दिन आराम करने से लोगों में रचनात्मक उर्जा बढ़ती है। सबसे पहले भारत में रविवार की छुट्टी मुंबई में दी गई थी। केवल इतना ही नहीं रविवार की छुट्टी होने के पीछे एक और कारण है। दरअसल सभी धर्मों में एक दिन भगवान के नाम का होता है। जैसे की हिंदूओं में सोमवार शिव भगवान का या मंगलवार हनुमान का। ऐसे ही मुस्लिमों में शुक्रवार यानि की जुम्मा होता है। मुस्लिम बहुल्य देशों में शुक्रवार की छुट्टी दी जाती है। इसी तरह ईसाई धर्म में रविवार को ईश्वर का दिन मानते हैं और अंग्रेजों ने भारत में भी उसी परंपरा को बरकरार रखा था। उनके जाने के बाद भी यही चलता रहा और रविवार का दिन छुट्टी का दिन ही बन गया।