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शिक्षक के “अन्त्येष्टि” नहीं लिख पाने वाले वायरल VIDEO से चर्चित हुए DEO राकेश पांडेय खुद नहीं लिख पा रहे असर्मथता…हुए ज़मकर ट्रोल

रायपुर।  शिक्षक के “अन्त्येष्टि” नहीं लिख पाने वाले वायरल VIDEO से चर्चित हुए DEO राकेश पांडेय अब खुद गलत असर्मथता (सही शब्द- असमर्थता) वाले आदेश की वजह से ट्रोल हो गये हैं। शिक्षकों के बीच अब कार्रवाई वाले आदेश में सही असमर्थता नहीं लिखने वाले डीईओ पर जमकर चुटकी ले रहे हैं। दरअसल बीते कुछ दिनों से एक वीडियो जोर-शोर से वायरल हो रहा है, जिसमें कवर्धा जिले के जिला शिक्षा अधिकारी राकेश पाण्डेय एक शिक्षक को हिंदी का पाठ पढ़ा रहे हैं और जमकर लताड़ लगा रहे हैं । हालांकि शिक्षक की गलती से इनकार नहीं किया जा सकता और न ही उस पर कार्रवाई को गलत ठहराया जा सकता है पर जिस प्रकार जिला शिक्षा अधिकारी ने वीडियो वायरल कराया, उसके बाद वो शिक्षकों के भी निशाने पर आ गये।

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कई शिक्षकों की तरफ से DEO के इस वीडियो को सुर्खियां बटोरने का हथकंडा बताया गया। दरअसल जिला शिक्षा अधिकारी साहब ने “अंत्येष्टि” न लिख पाने वाले शिक्षक की जिम्मेदारी तय करते हुए उनके लिए आदेश जारी किया और आदेश में शिक्षक की आगामी 1 वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोक दी। लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह है की हिंदी का पाठ पढ़ाने वाले जिला शिक्षा अधिकारी का हिंदी का ज्ञान कितना कमजोर है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा लीजिए कि खुद उनके कार्यालय द्वारा जारी किए गए पत्र जिसमें साहब के हस्ताक्षर हैं उसमें एक बार नहीं दो – दो बार “असमर्थता” शब्द गलत लिखा हुआ है। साहब की नजर शायद हस्ताक्षर करते समय इस पर नहीं पड़ी लेकिन सोशल मीडिया में पत्र वायरल होते ही यह चर्चा आम हो गई कि जब जिले के शिक्षा अधिकारी को ही असमर्थता लिखना नहीं आता तो फिर क्या पत्र को टाइप करने वाले संबंधित क्लर्क और उस पर हस्ताक्षर करने वाले जिला शिक्षा अधिकारी के विरुद्ध भी इसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होनी चाहिए जो राष्ट्रभाषा हिंदी में भी सही पत्र नहीं लिख पा रहे हैं और जिनकी जिम्मेदारी पूरे कवर्धा जिला के स्कूलों की है ।

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वीडियो वायरल कर सुर्खियां बटोरने वाले जिला शिक्षा अधिकारी राकेश पाण्डेय का विवादों से चोली दामन का साथ है । बतौर जिला परियोजना समन्वयक राकेश पाण्डेय ने जमकर गड़बड़ी की थी जिसका खामियाजा स्कूल के बच्चों को भुगतना पड़ा था , उन्होंने एक एनजीओ को लाभ पहुंचाने के लिए बिना जांच पड़ताल के 33 लाख से अधिक राशि का भुगतान कर दिया था और एनजीओ ने बिना शौचालय बनाएं राशि हड़प ली थी बाद में उच्च अधिकारियों से शिकायत होने के बाद इस मामले की जांच हुई और एनजीओ को ब्लैक लिस्टेड किया गया और पूरे मामले में राकेश पाण्डेय को भी दोषी मानते हुए उनकी एक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकी गई थी ।
कोरिया जिले में भी पदस्थापना के दौरान राकेश पाण्डेय का विवादों से नाता रहा और पहली मर्तबा ऐसा हुआ था कि किसी जिला शिक्षा अधिकारी के ट्रांसफर होने पर वहां के स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने पटाखा फोड़ कर और उनके विरुद्ध नारेबाजी करके खुशियां मनाई थी जो कहीं न कहीं शर्मसार कर देने वाली स्थिति थी , अब एक बार फिर सोशल मीडिया को सहारा बना कर सुर्खियां लूटने वाले जिला शिक्षा अधिकारी चर्चा में आ गए हैं ।।

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