कोख़ में पल रहे मासूम की मौत, कारण इतनी दरिंदगी है कि आपके होश उड़ जाएंगे
रायपुर|राजधानी के मठपुरैना निवासी मोहन साहू (27) ने बताया कि प्रसव पीड़ा से व्याकुल पत्नी संतोषी साहू (24) को सोमवार शाम पांच बजे 102 एंबुलेंस से जिला अस्पताल कालीबाड़ी लाया गया। यहां तड़पती प्रसूता को भर्ती करने की बजाय रात आठ बजे आने की बात कहकर भगा दिया गया। काफी मिन्नतें करने के बाद भी भर्ती नहीं होने पर दर्द से कराहती प्रसूता को मजबूरी में रोते बिलखते परिजन जिला अस्पताल के पंडरी परिसर ले गए, लेकिन यहां भी पीड़िता को भर्ती करने के बजाय चिकित्सक नहीं होने और बिस्तर की कमी की बात करते हुए अस्पताल के बाहर ही बैठा दिया गया। पति मोहन ने बताया कि हाथ-पैर जोड़ने के बाद रात साढ़े सात से आठ बजे के बीच अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन इलाज के लिए डॉक्टर ही नहीं थे। इस बीच अस्पताल में जब इलाज की बात कही गई तो नॉर्मल डिलवरी करने की बात कहकर किसी ने ध्यान नहीं दिया। रात करीब 10 से 10ः30 के बीच जब इलाज मिला, तब तक देर हो चुकी थी। बच्चे ने पेट में ही गंदा पानी पी लिया था। समय पर इलाज नहीं मिलने से मासूम बच्ची ने ही पेट में ही दम तोड़ दिया। मामले में कालीबाड़ी अस्पताल अधीक्षक डॉ. चंद्रकला चंद्रवंशी और सिविल सर्जन डॉ. रवि तिवारी को फोन किया गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
पीड़िता के पति मोहन ने बताया कि उनकी शादी डेढ़ वर्ष पहले हुई थी। परिवार चलाने के लिए प्राइवेट कंपनी में मजदूरी का काम करते हैं। आर्थिक तंगी की वजह से निजी अस्पताल में नहीं ले जा सका। लेकिन जिस सरकारी व्यवस्था पर भरोसा कर मैं पत्नी को यहां इलाज के लिए लाया उसने मेरी जिंदगी ही छिन ली। अब सिर पिटने के अलावा कुछ बचा नहीं।
मामले की जानकारी के लिए मैंने जिला अस्पताल कालीबाड़ी अस्पताल की अधीक्षक को फोन किया है, लेकिन जवाब नहीं आया है। मामला बेहद गंभीर है। इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विभागीय जांच के बाद दोषी पर कठोर कार्रवाई करेंगे।
- डॉ. मीरा बघेल, सीएमएचओ, जिला रायपुर
प्रसूता को लेकर कालीबाड़ी अस्पताल गए तो कह दिया गया कि रात आठ बजे भर्ती ही नहीं लेंगे। जाओ बाहर कहीं रहो। स्थिति बिगड़ती देख हम लोग पंडरी जिला अस्पताल चले गए, लेकिन यहां जल्दी भर्ती नहीं किया गया। देर रात भर्ती होने के बाद जब मैंने अस्पताल में इलाज के लिए पूछा तो मुझे ही कौन है कहकर भगा दिए।