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कफ सिरप का हो रहा नशे के रूप में प्रयोग.. शरीर के लिए है नुकसानदेह

मेडिकल स्टोर्स में मिलने वाले कफ सिरप का युवा वर्ग नशे के रूप में उपयोग कर रहा है। 13-14 साल के बच्चे भी इस नशे को अपना रहे। 8-10 वर्षों में इसका प्रचलन भी काफी बढ़ गया है। बड़े पैमाने पर युवा सर्दी, खांसी से निजात दिलाने वाले कोरेक्स सिरप, चोको और इसकफ का इस्तेमाल नशे के रूप में कर रहे हैं। कोरेक्स के बाद चोको, इसकफ की ज्यादा डिमांड है। जानकार बताते है कि इन सिरप का सेवन करने से लगभग दो सौ मिली लीटर शराब के बराबर नशा होता है। मुंह से शराब के जैसी दुर्गंध भी नहीं आती। इस तरह की दवाएं लोगों को डाक्टर की पर्ची के बना भी मिल जाती है।

डाक्टर की पर्ची बगैर तो कोई भी दवा नहीं देने का नियम है, जिसका पालन नहीं होता। स्वास्थ्य विभाग ने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया। कार्रवाई तो दूर अधिकारी जांच के लिए भी नहीं निकलते। वर्तमान में जिला मुख्यालय में ड्रग इंस्पेक्टर की नियुक्ति हुई है, वे भी इस मामले की जांच-पड़ताल करते नहीं दिखते।

छोटे बच्चे बोनफिक्स, बोमफिक्स, आयोडेक्स, अमृतांजन जैसे जेल का नशे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ बच्चे इन दवाओं को ब्रेड के साथ खाने में भी उपयोग करते है। कई बार ऐसे केस सामने भी आ चुके हैं। तालाब, सूनसान जगहों में बच्चे झुंड में नशा करते मिलते हैं।

शराब से ज्यादा नशा है कारण

लोगों का कहना है कि शराब के नशे से इसका नशा ज्यादा होता है महंगे शराब से आधी कीमत पर ही सिरप, बोनफिक्स, आयोडेक्स एपिजेड गोली मिल जाते हैं। साथ ही नशा भी शराब से ज्यादा होता है। ये नशा स्वास्थ्य के लिए घातक है, फिर भी युवा इसका सेवन कर रहे।

akhilesh

Chief Reporter

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