राष्ट्रीय

कामाख्या में भक्ति का महातांडव, जब मातंगी स्वरूप में प्रकट हुआ गुरु का तेज”

नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी। गुरु केवल ज्ञान का स्रोत नहीं होता — वह स्वयं धारा होता है, जो अपने स्पर्श से शिष्य के जीवन की दिशा बदल देता है। ऐसा ही एक विलक्षण दृश्य देखने को मिला मां कामाख्या धाम में, जब त्रिकालज्ञ संत डॉ. प्रेम साईं महाराज जी के सान्निध्य में तीन दिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन सम्पन्न हुआ।

भव्यता का यह आयोजन 10 जुलाई से आरंभ हुआ और 12 जुलाई को दशमहाविद्या यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ संपन्न हुआ। कामाख्या परिसर पहली बार उस स्थिति में देखा गया, जहाँ आमद मात्र से श्रद्धालुओं का सैलाब मंदिर की हर दिशा में बह निकला। न केवल असम, बल्कि महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, उत्तराखंड और नेपाल से भी शिष्यगण पहुँचे — सभी एक ही लक्ष्य से: मातंगी रूपधारी अपने गुरु का साक्षात्कार।

डॉ. प्रेम साईं महाराज जी अपने साथ जो कुछ लेकर आए थे — वह सामान्य नहीं था। ताड़पत्रों पर अंकित दुर्लभ असमिया ग्रंथ, जिन्हें देखना मात्र भी आज के समय में दुर्लभ है, वह प्रत्यक्ष रूप से भक्तों के समक्ष लाए गए। माँ के दरबार में उन ग्रंथों की उपस्थिति एक अलग ही लय और साधना की गहराई जोड़ रही थी।

“दस महाविद्या यज्ञ” रात्रि के समय हुआ — और जैसे-जैसे आहुतियाँ दी जाती रहीं, वैसे-वैसे साधकों की चेतना में तरंगे उठती रहीं। अग्नि, मंत्र और साधना का वह संगम ऐसा प्रतीत हुआ, मानो कामरूप स्वयं फिर से जागृत हो उठा हो।

  1. https://youtube.com/shorts/vjDCZEFCk4k?si=Ro4yVeHJ85utuHVj

इस महापर्व की पूर्णता तब हुई जब सैकड़ों साधकों ने दीक्षा लेकर गुरु चरणों में समर्पण किया। गुरु पूर्णिमा का यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं था — यह आत्मा की यात्रा का आरंभ था।

📍 स्थान: कामाख्या शक्तिपीठ, गुवाहाटी

📅 तारीखें: 10–12 जुलाई 2025

🕉️ संयोजन: मां मातंगी धाम सरकार एवं साधक मंडल

akhilesh

Chief Reporter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *