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राजधानी में दिखा बप्पा का “क्रेज़” मोहोल हुआ भक्तिमय

31 सितम्बर विघ्नहर्ता श्री गणेश अपने भक्तो का दुःख हरने आ रहे है, पिछले 2 सालो से करोना महामारी की वजह से राजधानी में यह सिलसिला धीमा हो गया था..

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क्या है एतिहासिक महत्व ?

छत्तीसगढ़ में गणेश उत्सव का महत्व: छत्तीसगढ़ में भी गणेश उत्सव का इतिहास बहुत पुराना है. छत्तीसगढ़ में गणेश पूजा परंपरा से सामाजिक चेतना का विकास हुआ और राष्ट्रीय आंदोलन को गति मिली. खास तौर पर छत्तीसगढ़ में रायपुर और राजनांदगांव में गणेश प्रतिमा स्थापित करने और इसे धूमधाम से मनाने की परंपरा शुरू हुई.

125 साल से भी अधिक पुराना इतिहास: रायपुर शहर की अगर बात की जाए तो रायपुर शहर में गणेश उत्सव का इतिहास करीब 125 साल पुराना है. रायपुर में सबसे पहले पुरानी बस्ती, गुढ़ियारी और बनिया पारा में गणेश उत्सव की शुरुआत हुई. उसके बाद धीरे-धीरे गोल बाजार, सदर बाजार, लोहार चौक जैसे अलग-अलग स्थानों पर गणेश प्रतिमाएं रखनी शुरू हुई.

“ये प्रथा 100 साल पुरानी”: इस विषय में इतिहासकार रमेंद्र नाथ मिश्र ने बताया ”

रायपुर शहर में गणेश प्रतिमा रख कर के उसे विसर्जित करने जानकारी 100 साल से अधिक पुरानी है. खास तौर पर पुरानी बस्ती और गुढ़ियारी के आयोजन को विशेष माना जाता था. पुरानी बस्ती के बनिया पारा में रहने वाले महरू दाऊ और लोहारपार में सुकुरु लोहार का परिवार भी पिछले 100 सालों से अधिक समय से गणपति स्थापित कर रहा है.”

एक नजर रायपुर के विभिन्न पंडालों की ओर करते है और देखते है क्या है खाश राजधानी के पंडालों में

रायपुर में यहां गणपति को रोज पांच घंटे पहनाया जाता है 35 लाख का मुकुट

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व्यावसायिक गणेशोत्सव समिति की कई झांकियां पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध रही है। पिछले दो साल से कोरोना महामारी के नियमों के कारण केवल सादगी से गणेशजी की प्रतिमा प्रतिष्ठापित की जा रही है, इसके बावजूद दर्शन करने भक्तों का तांता लग रहा है। गोलबाजार समिति की खासियत यह है कि यहां गणेशजी को पांच साल से सोने का मुकुट पहनाया जा रहा है।

इसकी कीमत वर्तमान सोने के भाव के अनुसार लगभग 35 लाख रुपए है। मुकुट में मूंगा, पन्ना, माणिक, मोती भी जड़े हुए हैं। यह मुकुट प्रतिदिन पांच घंटे तक पहनाया जाता है। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए समिति के सदस्य सेवा देते हैं।

छत्तीसगढ़ का पहला पंडाल जहां असली सोने का मुकुट

समिति के श्री गुप्ता बताते हैं कि हर साल गणेश पर्व पर स्थल और झांकी में लाखों रुपए खर्च किया जाता रहा है, ऐसे में पांच साल पहले समिति ने फैसला किया कि एक ऐसा सोने का मुकुट बनवाया जाए जैसा पूरे छत्तीसगढ़ में किसी समिति ने ना बनवाया हो। साथ ही इससे दूसरी समिति वाले भी प्रेरणा लें। समिति के फैसले पर गोलबाजार के व्यापारियों ने भी बढ़चढ़कर सहयोग किया। उक्त राशि से 700 ग्राम का सोने का मुकुट बनाकर उसमें मूंगा, पन्ना, माणिक, मोती भी जड़वाए गए।

रायपुर में टाइटेनिक जहाज के तर्ज पर भव्य गणेश पंडाल तैयार किया जा रहा है.

राजधानी के कालीबाड़ी में तैयार होने वाला गणेश पंडाल शहर ही नही प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है. कालीबाड़ी का जय भोले ग्रुप ने इस बार टाइटेनिक जहाज के तर्ज पर गणेश पंडाल का निर्माण कराया है.अभी से ही यह पंडाल आकर्षक का केंद्र बना हुआ है.

 

कितना ऊंचा बना है पंडाल : समिति के संरक्षक रौशन सागर ने बताया ” हर साल की तरह इस बार भी गणेश उत्सव को समिति के लोगों में उत्साह है. इसलिए टाइटैनिक जहाज की तरह पंडाल का निर्माण करवाया जा रहा है. जहाज दुर्गा पंडाल 105 फीट लंबा और 60 फीट ऊंचा है . पंडाल की चौड़ाई लगभग 15 फीट है.”

पंडाल बनाने में लगा कितना समय : समिति के संरक्षक ने बताया कि ” पंडाल पिछले 1 महीने से भी अधिक समय से तैयार किया जा रहा है.इसे बनाने में कुल 30 लोग लगे हैं. 16 कारीगर पंडाल बनाने और बाकी पेंटिग और डिजाइनिग करने का काम कर रहे हैं.” समिति के सदस्यों ने पंडाल की लागत नही बताई है. लेकिन 20 लाख रुपए की
लागत से पंडाल बनाने की चर्चा है.

छत्तीसगढ़ में गणपति उत्सव की गाइडलाइन जारी नहीं होने से मूर्तिकारों में चिंता मुक्त

दो साल में कोरोना से गणेश उत्सव में मूर्तिकारों का व्यवसाय प्रभावित हुआ. लेकिन इस बार गणेश उत्सव को लेकर गणेश समितियों और मूर्तिकारों में बेहद उत्साह नजर आ रहा है. लेकिन जिला प्रशासन की ओर से अभी तक गणेश उत्सव को लेकर दिशा निर्देश जारी नहीं किए हैं. ऐसे में मूर्ति तैयार कर चुके कलाकारों की चिंताएं बढ़ गई है.

 

रायपुर: हमारी परंपराओं में किसी भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. हर साल छत्तीसगढ़ समेत देशभर में गणेश उत्सव का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. दो साल से कोरोना का चलते गणेश उत्सव के मौके पर मूर्तिकारों का व्यवसाय प्रभावित हुआ था. लेकिन इस बार गणेश उत्सव को लेकर गणेश समितियों और मूर्तिकारों में बेहद उत्साह नजर आ रहा है. हालांकि गणेशोत्सव के नजदीक आने के बावजूद भी जिला प्रशासन की ओर से अभी तक गणेश उत्सव को लेकर दिशा निर्देश जारी नहीं किए हैं.

ऐसे मूर्ति तैयार कर चुके कलाकारों की चिंता भी बढ़ी हुई है. बप्पा की मूर्तियों को तैयार करने में जुटे मूर्तिकार: ईटीवी भारत को कलाकार मंगलमूर्ति ने बताया कि “कोरोना संक्रमण के कारण 2 सालों से हमारा व्यवसाय मंदा था.

पिछली बार की मूर्तियां बची हैं, जिसे बनाया जा रहा है. बहुत से नए ऑर्डर आए हैं, उन्हें भी तैयार किया जा रहा है. बाकी सभी चीजें समितियों पर निर्भर करती है. समिति के लोग लगातार आकर मूर्तियां देख रहे हैं और पसंद कर रहे हैं. इस बार अच्छे व्यवसाय की उम्मीद है.”गणेश उत्सव की तैयारियां महंगाई का दिखा असर:

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