छत्तीसगढ़

होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य पर विराम, पूर्णिमा पर होगा समापन…

बेमेतरा। शासकीय कन्या प्राथमिक शाला देवकर में होलिका दहन किया गया। बच्चे अपने घरों से लकड़ी ले कर आए। साथ ही शाला के कचरों को भी डाला गया, जिससे बच्चों ने सफाई का संदेश दिया तथा शिक्षकों और बच्चों ने मिलकर होलिका का निर्माण किया। बच्चों ने सुंदर रंगोली सजाई, चार्ट निर्माण किया। प्रधान पाठिका गिरिजा पटेल द्वारा बच्चों को होलिका दहन मनाने के पीछे की पौराणिक कथा बताई गई। बुराई रूपी होलिका पर जिस प्रकार अच्छाई रूपी प्रहलाद ने जीत हासिल की। उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन में बुराइयों से जीत पानी है।

होलाष्टक के दौरान 8 दिनों तक शुभ कार्य नहीं होंगे। पं. श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया कि होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक रहता है। इस दौरान विवाह, नामकरण, मुंडन व गृह प्रवेश सहित नए कार्यों की शुरुआत वर्जित माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन आठ दिनों में अष्ट ग्रह उग्र स्थिति में होते हैं, जिससे मांगलिक कार्य में बाधाएं आती हैं।

उन्होंने बताया कि होलाष्टक की पौराणिक कथाएं, भगवान शिव और कामदेव की कथा मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान ही कामदेव भगवान शिव की तपस्या भग की थी। क्रोधित होकर शिवजी ने अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को भस्म कर दिया। इससे पूरे संसार में शोक की लहर दौड़ गई और उनकी पत्नी रति ने शिव से विनती कर उन्हे पुन: जीवित करने का अनुरोध किया। शिव ने द्वापर युग में पुनर्जन्म का वरदान दिया।

akhilesh

Chief Reporter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *