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राजपुर में आस्था की भूमि पर अतिक्रमण, ग्रामवासी आक्रोशित

बिलासपुर जिला में तखतपुर ब्लॉक के ग्राम राजपुर की पहचान उसका प्राचीन महामाया मंदिर और उससे सटा गौटिया तालाब रहा है. जहाँ आस्था की घंटियाँ और जल की लहरें वर्षों से ग्राम जीवन का प्रतीक रही हैं. पर अब वही भूमि विवादों के घेरे में है. मंदिर प्रांगण एवं तालाब से लगी सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्ज़े की खबर से पूरा गाँव आक्रोश से उबल पड़ा है.

ग्रामवासियों के अनुसार, पुरुषोत्तम कुर्रे पिता स्व. सुहुलाल कुर्रे द्वारा इस सार्वजनिक भूमि पर घर निर्माण हेतु नींव की खुदाई प्रारंभ कर दी गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यह भूमि वर्षों से पूजा-अर्चना, धार्मिक आयोजन और निस्तारी कार्यों के लिए प्रयुक्त होती रही है. स्थानीय लोगों के मुताबिक, उक्त व्यक्ति पूर्व में भी गाँव की अन्य शासकीय भूमि विशेषकर टाड बांध क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर चुका है, जिसकी शिकायत तहसील एवं अनुविभागीय अधिकारी को पहले दी जा चुकी है, किंतु प्रशासनिक उदासीनता के कारण अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.

ग्रामवासियों ने बताया कि इस प्रकार के निरंतर अतिक्रमण से न केवल धार्मिक स्थल की मर्यादा भंग हो रही है, बल्कि तालाब तक पहुँचने का मार्ग भी अवरुद्ध हो जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है. इससे ग्रामीणों के निस्तारी कार्य प्रभावित होंगे और गाँव की सामाजिक व धार्मिक परंपराओं पर सीधा आघात पहुँचेगा.

ग्रामवासियों एवं माँ महामाया समिति के सदस्यों ने इस विषय पर एस.डी.एम., तहसीलदार और थाना तखतपुर को लिखित आवेदन देकर तत्काल कब्ज़ा हटाने की माँग की है. उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं हुआ, तो वे सामूहिक आंदोलन एवं धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे.

ग्राम के वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि “यह भूमि किसी व्यक्ति की नहीं, पूरे गाँव की आस्था की प्रतीक है। यदि इसे बचाया नहीं गया, तो आने वाली पीढ़ियाँ न मंदिर देख पाएँगी, न तालाब का जल.” ग्राम राजपुर की जनता का यह कहना केवल विरोध नहीं, बल्कि एक पुकार है. शासन-प्रशासन से, कि वह गाँव की आत्मा को बचाने आगे आए. सार्वजनिक भूमि पर कब्ज़ा सिर्फ़ मिट्टी का नहीं, जन-भावना का अपमान है.

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