शराबबंदी वाले 4 राज्यों में भेजी चिट्ठी,अभी तक नहीं आया कोई जवाब .छतीसगढ़
शराबबंदी के मुद्दे पर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। भाजपा लगातार शराबबंदी की मांग कर रही है तो कांग्रेस यह तर्क दे रही है कि कि नोटबंदी की तरह शराबबंदी नहीं की जाएगी। अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर भी इसे लागू किया जाएगा। प्रदेश में मचे राजनीतिक बवाल के बीच भास्कर ने शराबबंदी के लिए बनी कमेटियों की कार्यप्रणाली की पड़ताल की तो पता चला कि राज्य सरकार ने इसके लिए तीन अलग-अलग कमेटियां गठित की हैं।
इनमें से राजनीतिक कमेटियों की जिम्मेदारी वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा को दी गई है। इस कमेटी की तीन साल में तीन बैठकें हुई हैं। लगभग एक माह पहले हुई तीसरी बैठक में तय किया गया था कि जिन राज्यों में शराबबंदी की गई है, वहां का दौरा करने के बाद ही इस पर आगे की प्रक्रिया की जाएगी। सत्यनारायण शर्मा के मुताबिक राज्यों को चिट्ठी भेजी जा चुकी है लेकिन वहां से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।
इन राज्यों में शराबबंदी के प्रभाव का होगा अध्ययन : गुजरात, बिहार, मिजोरम, नागालैंड और केंद्र शासित राज्य लक्ष्य दीप में पूर्णता शराबबंदी है। जबकि कुछ राज्यों में शराबबंदी का निर्णय लिया गया था, लेकिन बाद में निर्णय को वापस लिया गया।
इन बिंदुओं पर होगा अध्ययन
राज्य के वित्तीय ढांचे, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव।
सामाजिक क्षेत्र में प्रभाव।
लागू करने में आने वाली परेशानियां।
अवैध शराब की बिक्री, परिवहन पर कार्रवाई
एसटी वर्ग को निर्धारित सीमा तक शराब बनाने व रखने की छूट का प्रभाव
लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव।
ये तीन समितियां बनी हैं
पहली: शराबबंदी वाले राज्यों का अध्ययन करेगी
दूसरी : सामाजिक संगठनों के अलग-अलग सदस्य होंगे
तीसरी : राज्य के प्रमुख दलों के विधायक, जो शराबबंदी की अनुशंसा करेंगे।
चिटि्ठयों का जवाब आए तो राज्यों का हो दौरा
शराबबंदी के लिए राज्यों के दौरे पर जाने के लिए पत्राचार किया गया है लेकिन वहां से जवाब नहीं आया है। चिट्ठी का जवाब आते ही आगे की प्रक्रिया की जाएगी। -सत्यनारायण शर्मा, अध्यक्ष, राजनीतिक समिति