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कलेक्टर का आदेश: सामूहिक कांवड़ यात्रा पर लगी रोक,एकल यात्रा को मंजूरी…..

कवर्धा। सावन के प्रथम सोमवार को कवर्धा शहर से छत्तीसगढ़ के खजुराहो भोरमदेव मंदिर तक 17 किलोमीटर की कांवड़ यात्रा हर साल होती है| लेकिन इस साल आयोजन पर कोरोना का ग्रहण लग गया है| तीसरी लहर के खतरे के मद्देनजर कवर्धा से भोरमदेव मंदिर तक प्रशासनिक रूप से आयोजित कांवड़ यात्रा नहीं होगी|

बता दें कि हर वर्ष सावन के पहले सोमवार को जिला प्रशासन द्वारा कवर्धा से भोरमदेव मंदिर क्षेत्र तक पैदल पदयात्रा का आयोजन किया जाता था, जिसमें जिले के सभी प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी जनप्रतिनिधि और आम जनता, स्कूली बच्चे बड़ी संख्या में शामिल होते थे| 17 किलोमीटर की पदयात्रा बाजे गाजे के साथ भोरमदेव मंदिर पहुंचकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते थे|

इस आयोजन में कवर्धा ही नहीं आसपास के लोग और अधिकारी भी सम्मलित होते थे, लेकिन इस सावन के पहले सोमवार को यह आयोजन नहीं होगा| जिसको लेकर श्रद्धालुओं में निराशा देखी जा रही है, हालांकि व्यक्तिगत रूप से पदयात्रा के लिए किसी प्रकार की बंदिशें नहीं लगाई गई है, और ना ही श्रद्धालुओं को रोका जाएगा| भोरमदेव मंदिर परिसर में कोरोना वायरस का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है| साथ ही वहां कोविड टेस्ट की व्यवस्था की जाएगी| साथ ही जिला प्रशासन ने साफ कर दिया है कि जिले से समूह में कांवरिया यात्रा के लिए अनुमति नहीं देगी|

वहीं ग्रामीण क्षेत्रों से कांवरिया सैकड़ों की संख्या में टोली बनाकर निकलते है, जो अमरकंटक से जल लेकर भोरमदेव मंदिर और शहर के सबसे पुराने पंचमुखी बूढामहादेव में 150 किलो मीटर पैदल चलकर जलाभिषेक करते है, लेकिन जिला प्रशासन ने इस बार अमरकंटक से पैदल यात्रा पर रोक लगा दिया है, जिससे लाखों शिव भक्तों का दिल टूट गया है|

कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने कहा कि वर्तमान में जो स्थिति है, कोरोना तीसरी लहर की उस संभावनाओं को देखते हुए किसी प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम आयोजन नहीं किया जाएगा| प्रशासन की ओर से सावन के प्रथम सोमवार को पदयात्रा पंचमुखी बूढ़ामहादेव से पद यात्रा निकाली जाती है| वह कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगा दिया गया है| वहीं कलेक्टर ने ये भी कहा कि कवर्धा से अमरकंटक कांवरिया यात्रा भोरमदेव मंदिर और शहर के सबसे पुराने पंचमुखी बूढ़ा महादेव मंदिर करीब 150 किलोमीटर पद यात्रा कर जलाभिषेक करते हैं दलों को अनुमति नहीं दी गई है| अगर कोई व्यक्ति अपने परिवार के साथ भोरमदेव मंदिर या पंचमुखी बूढामहादेव मंदिर जलाभिषेक करने जाते हैं तो उन लोगों को छूट दी गई है, लेकिन सामूहिक रूप से समूह बनाकर पद यात्रा कांवरियों द्वारा निकाली जाती उस लर प्रतिबंध है|

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